श्रावण मास 2023: हिंदू धर्म में ऊँ का क्या महत्व है, जानें इसका अर्थ
- ओंकार की ध्वनि को पवित्र माना जाता है
- कई अन्य धर्मों में भी ऊँ को पवित्र माना
डिजिटल डेस्क, भोपाल। सावन का महीना शुरू हो चुका है। हिंदू धर्म में भगवान शिव को समर्पित सावन के महीने का विशेष महत्व बताया गया है। शिव भक्त सावन में भगवान की सच्चे मन से पूजा- पाठ के साथ दान- धर्म करते हैं। पूजा और हवन या हर धार्मिक कार्य करते समय ऊँ का जाप या उच्चारण किया जाता है, क्योंकि हिंदू धर्म में ऊँ शब्द को सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण शब्द की संज्ञा दी गई है।
लेकिन इसके पीछे का क्या कारण है? कहा जाता है कि ऊँ अपने आप में एक पूर्ण मंत्र है। हिंदू धर्म के अलावा बौद्ध, जैन, सिख जैसे धर्मों में ऊँ या ओम अथवा ओंकार की ध्वनि को पवित्र माना जाता है।
ऊँ का इतना महत्व क्यों है?
पौराणिक कथाओं के अनुसार ऊँ को ब्रह्मांड की प्रथम ध्वनि कहा जाता है, जिसके बाद ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई थी। मंडूक उपनिषद में ऊँ का जिक्र मिलता है, जिसमें कहा गया है कि संसार में भूत, भविष्य और वर्तमान काल में या इन से भी परे जो हमेशा मौजूद है, वो ऊँ है। वहीं कुछ मान्यताओं के अनुसार ऊँ की उत्पत्ति शिव के मुख से हुई है।
जानें ॐ का अर्थ
धर्म गुरुओं के अनुसार ॐ का उच्चारण करने से ब्रह्मा, विष्णु और महेश का आह्वान होता है। माना जाता है कि ॐ ब्रम्हांड की ध्वनि है साथ ही ॐ का अर्थ शांति और प्रेम है। ओम शब्द तीन अक्षरों से बना है- अ, उ और म। कहा जाता है कि यह तीन अक्षरा जो स्वयं ब्रह्मा, विष्णु व महादेव का प्रतिनिधित्व करते हैं।
ऊँ के उच्चारण से शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और बौद्धिक शांति मिलती है। जब कोई ऊँ का जाप या उच्चारण करता है, तो शरीर में एक कंपन्न उत्पन्न होती है जो कि पूरे शरीर को एक सौम्य अनुभव देती है।
अ- शरीर के निचले हिस्से में कंपन्न होती है यानी पेट के करीब
उ- शरीर के मध्य भाग में कंपन्न होती है, यानी छाती के करीब
म- शरीर के ऊपरी भाग में कंपन्न होती है, यानी मस्तिक में