Shardiya Navratri 2024: शुभ मुहूर्त में करें कलश स्थापना, जानिए सामग्री और विधि

  • शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू हो रही हैं
  • माता रानी पालकी या डोली में बैठकर आ रही हैं
  • शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 15 मिनट से शुरू है

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-02 09:56 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। नवरात्रि (Navratri) को हिन्दू धर्म के सबसे बड़े त्योहारों में से एक माना जाता है और यह साल में दो बार 6 माह की अवधि के अंतराल पर आती है। एक चैत्र और दूसरी अश्विन माह में आती है। फिलहाल, अश्विन माह चल रहा है और इस महीने में आने वाली शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2024) का विशेष महत्व है। इस दौरान मां दुर्गा के लिए पंडाल सजाए जाते हैं और उनमें शक्ति के अलग- अलग स्वरूपों की प्रतिमा स्थापित की जाती हैं। इस बार शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू होगी।

ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस बार माता रानी पालकी या डोली में बैठकर आ रही हैं। उन्होंने बताया कि,जब नवरातिर की शुरुआत प्रतिपदा तिथि का आरंभ गुरु या शुक्रवार से होती है तो माना जाता है कि जगदंबा पालकी में आ रही हैं। आइए जानते हैं कलश या घट स्थापना का शुभ मुहूर्त...

घट स्थापना मुहूर्त

नवरात्रि की पूजा से पहले कलश स्थापना या घट स्थापना का विधान है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार प्रतिपदा के दिन कलश या घट स्थापना सूर्योदय के बाद अभिजीत मुहुर्त में करना श्रेयष्कर रहता है। लेकिन, इसमें चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग में करना वर्जित माना गया है। इस वर्ष शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 15 मिनट से 7 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त में भी स्थापना की जा सकती है, जो कि सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा।

कलश स्थापना की सामग्री

शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना के लिए जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र, साफ मिट्टी, मिट्टी या तांबे का कलश जिसके साथ में ढक्कन हो, कलावा, लाल कपड़ा, नारियल, सुपारी, गंगाजल, दूर्वा, आम के पत्ते, सप्तधान्य (7 प्रकार के अनाज), अक्षत, लाल फूल, सिंदूर, लौंग, इलायची, पान, मिठाई, इत्र, सिक्का आदि।

इस विधि से करें कलश स्थापना

- कलश स्थापना करने से पहले कलश की पूर्व या उत्तर दिशा या फिर ईशान कोण में स्थापना करें।

- ध्यान रहे कलश स्थापित करते वक्त अपना चेहरा पूर्व या उत्तर दिशा में ही रखें।

- इसके बाद पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और अक्षत अष्टदल बनाएं।

- अब इस पर मां दुर्गा की प्रतिमा विराजमान करें।

- देवी मां के सामने अखंड ज्योति प्रज्वलित करें और इसे पूर्व-दक्षिण में रखें।

- कलश पर स्वास्तिक बनाएं और इस पर एक कलावा बांधें और उसे जल से भर दें।

- इसके बाद कलश में साबुत सुपारी, फूल, इत्र, अक्षत, पंचरत्न और सिक्का डालें।

- कलश में 5 आम के पत्ते रखकर उसे ढककर ऊपर से नारियल में कलावा बांधकर रख दें।

- इसके बादद एक मिट्टी के पात्र में साफ मिट्टी डालकर 7 तरह के अनाज बोएं और इसे चौकी पर रखें।

- अंत में दीप जलाकर गणपति, माता जी, नवग्रहों का आवाहन करें और फिर देवी दुर्गा के मंत्रों का जाप करें।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

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