शारदीय नवरात्रि का नौवां दिन: महानवमी पर इस विधि से करें मां सिद्धिदात्री की उपासना, जानिए पूजा विधि और मंत्र
- नवमीं तिथि 11 अक्टूबर 2024, शुक्रवार को है
- मां की पूजा से सर्व सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है
- नवरात्रि के अंतिम दिन कन्या पूजन भी किया जाता है
डिजिटल डेस्क, भोपाल। शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) के आठ दिन पूर्ण हो चुके हैं और देशभर में इसकी धूम देखने को मिल रही है। दुर्गा पूजा के इस सबसे बड़े पर्व का नौवां दिन खास माना जाता है और इसे महानवमीं कहा जाता है। इस बार नवमीं तिथि 11 अक्टूबर 2024, शुक्रवार को पड़ रही है। इस दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की आराधना की जाती है। इसे नवदुर्गा का सिद्धि और मोक्ष देने वाला स्वरूप कहा गया है।
ऐसा माना जाता है कि, नवरात्रि के अंतिम दिन पुराणिकशास्त्र की विधि-विधान और माता की पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को इस दिन सर्व सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। नवरात्रि के अंतिम दिन कन्या पूजन भी किया जाता है। इसका बड़ा महत्व बताया गया है। क्योंकि, इस पूजा के साथ ही व्रत का पारण किया जाता है और नवरात्रि का समापन होता है। आइए जानते हैं मां के स्वरूप और पूजा विधि के बारे में...
स्वरूप
अपने सांसारिक स्वरूप में देवी सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान हैं और हाथों में कमल, शंख, गदा, सुदर्शन चक्र धारण किए हुए हैं। सिद्धिदात्री देवी सरस्वती का भी स्वरूप हैं, जो श्वेत वस्त्रालंकार से युक्त महाज्ञान और मधुर स्वर से अपने भक्तों को सम्मोहित करती हैं।
ऐसे करें कन्या पूजन
- सबसे पहले मां की तस्वीर या मूर्ति रखें।
- इस दिन दुर्गासप्तशती के नवें अध्याय से माता का पूजन करें।
- इसके बाद मां की आरती और हवन करना चाहिए।
- हवन करते समय व्यक्ति को सभी देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए।
- इस दिन देवी सहित उनके वाहन, सायुज अर्थार्त अस्त्र, शस्त्र, योगनियों एवं अन्य देवी देवताओं के नाम से हवन करने का विधान बताया गया है।
- फिर माता सिद्धिदात्री का नाम लेना चाहिए।
- इस दौरान दुर्गा सप्तशती के सभी श्लोक मंत्र पढ़ने चाहिए।
- इन मंत्रों के साथ ही आहुति दें।
- मां के बीज मंत्र का 108 बार जाप करें।
- भगवान शंकर और ब्रह्मा जी की पूजा करें फिर मां की अराधना करें।
- माता सिद्धिदात्री को प्रसाद चढ़ाएं।
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