शारदीय नवरात्रि 2023: इच्छाओं की पूर्ति करती हैं स्कंदमाता, पांचवे दिन इस विधि से करें पूजा
मां स्कंदमाता की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शारदीय नवरात्रि का पांचवां दिन मां स्कंदमाता को समर्पित है। नवरात्रि के पांचवे दिन इनकी पूजा की जाती है। भगवान स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। वहीं स्कंदमाता कमल पर विराजमान होती हैं। इस कारण इन्हें पद्मासना नाम से भी जाना जाता है। स्कंदमाता को सृष्टि की पहली प्रसूता स्त्री माना जाता है। इस बार मां स्कंदमाता की पूजा 19 अक्टूबर, गुरुवार को की जा रही है।
पुराणों के अनुसार, मां स्कंदमाता कमल पर विराजमान रहती हैं इसलिए उन्हें पद्मासना देवी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि, मां स्कंदमाता की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है तथा शत्रुओं का विनाश होता है। माँ अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं। इस दिन का शास्त्रों में अलौकिक महत्व बताया गया है। आइए जानते हैं माता के स्वरूप और पूजा विधि के बारे में...
माता का स्वरूप
स्कंदमाता की चार भुजाएँ हैं। इनके दाहिनी तरफ की ऊपर की भुजा, जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें कमल पुष्प है। दाईं तरफ की नीचे वाली भुजा वरमुद्रा में और ऊपर वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है उसमें भी कमल पुष्प लिए हुए हैं। ये कमलासन पर विराजमान रहती हैं। जिस कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है और सिंह इनका वाहन है।
इस विधि से करें पूजा
- सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त हों।
- इसके बाद साफ वस्त्र धारण करें और सूर्य को जल चढ़ाने के बाद व्रत का संकल्प लें।
- सफेद रंग के आसन पर विराजमान होकर देवी की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठ जाएं।
- ध्यान रहे मां स्कंदमाता की उपासना करने के लिए कुश के पवित्र आसन पर बैठें।
- इसके बाद कलश और फिर स्कंदमाता की पूजा करें।
पूजा में मां को श्रृंगार का सामान अर्पित करें और प्रसाद में केले या फिर मूंग के हलवे का भोग लगाएं।
- स्कंदमाता की पूजा कुमकुम, अक्षत से करें, चंदन लगाएं, तुलसी माता के सामने दीपक जलाएं।
- हाथ में स्फटिक की माला लें और इस मंत्र का कम से कम एक माला यानि 108 बार जाप करें।
इस मंत्र का जाप करें
- ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥
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