शारदीय नवरात्रि 2023: आज महानवमी पर करें मां सिद्धिदात्री की आराधना, जानें कन्या पूजन की विधि

साधक को इस दिन सर्व सिद्धियों की प्राप्ति होती है

Bhaskar Hindi
Update: 2023-10-23 07:09 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शारदीय नवरात्रि का आज मां सिद्धिदात्री की पूजा के साथ ही समापन हो जाएगा। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। जिसमें आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री का समर्पित होता है। इसे नवदुर्गा का सिद्धि और मोक्ष देने वाला स्वरूप कहा गया है। इस दिन मां दुर्गा के नौवें स्वपूर की पूजा के साथ ही कन्या पूजन का भी विशेष महत्व माना गया है। कन्या पूजन के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है। इस बार मां सिद्धिदात्री की पूजा 23 अक्टूबर यानि कि आज सोमवार को की जा रही है।

ऐसा माना जाता है कि, नवरात्रि के अंतिम दिन पुराणिकशास्त्र की विधि-विधान और माता की पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को इस दिन सर्व सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। साथ ही ज्ञान, बुद्धि, धन, ऐश्वर्य इत्यादि सभी सुख-सुविधाओं की भी प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं मां के स्वरूप और उन्हें लगने वाले भोग के साथ कन्या पूजन के बारे में...

स्वरूप

अपने सांसारिक स्वरूप में देवी सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान हैं और हाथों में कमल, शंख, गदा, सुदर्शन चक्र धारण किए हुए हैं। सिद्धिदात्री देवी सरस्वती का भी स्वरूप हैं, जो श्वेत वस्त्रालंकार से युक्त महाज्ञान और मधुर स्वर से अपने भक्तों को सम्मोहित करती हैं।

लगाएं प्रसाद और भोग

नौवें दिन सिद्धिदात्री को मौसमी फल, हलवा, पूड़ी, काले चने और नारियल का भोग लगाया जाता है। जो भक्त नवरात्रों का व्रत कर नवमीं पूजन के साथ समापन करते हैं, उन्हें इस संसार में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन दुर्गासप्तशती के नवें अध्याय से मां का पूजन करें। नवरात्र में इस दिन देवी सहित उनके वाहन, सायुज यानी हथियार, योगनियों एवं अन्य देवी देवताओं के नाम से हवन करने का विधान है इससे भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

ऐसे करें कन्या पूजन

मां दुर्गा की पूजा में अष्टमी और नवमीं दोनों का ही विशेष महत्व होता है। मां की पूजा के बाद कुंवारी कन्याओं को भोजन कराया जाता है। उन्हें मां के प्रसाद के साथ दक्षिणा दी जाती है और चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया जाता है। बता दें कि सनातन धर्म में छोटी कन्याओं को मां दुर्गा का रुप माना जाता है, ऐसे में कन्या पूजन के दौरान उन्हें लाल चूड़ी और लाल चुनरी चढ़ाई जाती है। साथ ही उन्हें भोग में चढ़ाया हुआ प्रसाद खिलाया जाता है उनके पैर धोए जाते हैं।

कन्या पूजन में उनके पैर धुलने के बाद मौली और मस्तक पर तिलक लगाकर उनकी पूजन करें। साथ ही कन्याओं को हलवा,पूरी और काले चने का प्रसाद दें। इसके बाद उन्हें भेंट स्वरूप कोई चीज या दक्षिणा राशि दें। माना जाता है कि कन्या पूजन से आपके घर में धन-धान्य की कोई कमी नही रहती और परिवार में सुख-समृधि बनी रहती है।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष /वास्तुशास्त्री/अन्य) की सलाह जरूर लें।

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