शारदीय नवरात्रि 2023: मां महागौरी की पूजा मात्र से धुल जाते हैं भक्तों के सभी पाप, इस मंत्र का करें जाप

मां की शक्ति अमोघ और सद्यः फलदायिनी है

Bhaskar Hindi
Update: 2023-10-21 10:30 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। नवरात्रि में पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग अलग स्वरूपों की आराधना की जाती है। इन दिनों मंदिर और माता की चौकी में खूब जयकारे सुनाई देते हैं। वहीं अष्टमी और नवमीं तिथि पर विशेष महत्व माना जाता है। इन दिनों में कन्या पूजन और कन्या भोज की भी परंपरा है। बता दें कि, आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप आदि शक्ति महागौरी की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि, महागौरी की पूजा मात्र से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं। इस वर्ष मां महागौरी की पूजा 22 अक्टूबर, रविवार को की जाएगी।

देवीभगवत् पुराण में बताया गया है कि देवी मां के 9 रूप और 10 महाविघाएं सभी आदिशक्ति के अंश और स्वरूप हैं लेकिन भगवान शिव के साथ उनके अर्धांगिनी के रूप में महागौरी सदैव विराजमान रहती हैं। इनकी शक्ति अमोघ और सद्यः फलदायिनी है। आइए जानते हैं मां महागौरी के स्वरूप, पूजा विधि और मंत्र के बारे में...

मां महागौरी का स्वरूप

महागौरी वर्ण पूर्ण रूप से गौर अर्थात सफेद हैं और इनके वस्त्र व आभूषण भी सफेद रंग के हैं। मां का वाहन वृषभ अर्थात बैल है। मां के दाहिना हाथ अभयमुद्रा में है और नीचे वाला हाथ में दुर्गा शक्ति का प्रतीक त्रिशुल है। महागौरी के बाएं हाथ के ऊपर वाले हाथ में शिव का प्रतीक डमरू है। डमरू धारण करने के कारण इन्हें शिवा भी कहा जाता है। मां के नीचे वाला हाथ अपने भक्तों को अभय देता हुआ वरमुद्रा में है। माता का यह रूप शांत मुद्रा में ही दृष्टिगत है। इनकी पूजा करने से सभी पापों का नष्ट होता है।

मां महागौरी पूजा विधि

- सबसे पहले लकड़ी की चौकी पर या मंदिर में महागौरी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।

- इसके बाद चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर महागौरी यंत्र रखें और यंत्र की स्थापना करें।

- हाथ में सफेद पुष्प लेकर मां का ध्यान करें।

- अब मां की प्रतिमा के आगे दीपक चलाएं।

- उन्हें फल, फूल, नैवेद्य आदि अर्पित करें।

- इसके बाद देवी मां की आरती उतारें।

- अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ माना जाता है।

प्रिय भोग-

मां महागौरी को नारियल का भोग लगाना चाहिए। इसी के साथ नारियल दान करना भी बेहद शुभ माना जाता है ।

महागौरी आराधना मंत्र-

श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।

महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

"ॐ देवी महागौर्यै नमः॥

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

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