Pradosh Vrat 2024: हिंदू नववर्ष के पहले प्रदोष व्रत पर बन रहे कई संयोग, जानिए पूजा का मुहूर्त और विधि
- यह व्रत 21 अप्रैल 2024, रविवार को रखा जाएगा
- कुंडली में सूर्य कमजोर होने पर जरूर करें ये व्रत
- भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है
डिजिटल डेस्क, भोपाल। प्रत्येक माह की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है, जो कि देवों के देव महादेव को समर्पित है। यह व्रत दिन के अनुरूप अलग- अलग नामों से जाना जाता है। फिलहाल, यह व्रत 21 अप्रैल 2024, रविवार को पड़ रहा है ऐसे में इसे रवि प्रदोष कहा गया है। रवि प्रदोष व्रत का सीधा संबंध सूर्य देव से है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, जिस भी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य कमजोरी स्थिति में होता है उन्हें रवि प्रदोष व्रत जरूर करना चाहिए।
ज्योतिषाचार्य की मानें तो, इस साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रदोष तिथि में बेहद अद्भुत संयोग का निर्माण हो रहा है। इस बार भगवान शिव इस दिन नंदी पर विराजमान रहेंगे। ऐसा माना जाता है कि, इस योग में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है।
तिथि कब से कब तक
त्रयोदशी तिथि आरंभ: 20 अप्रैल 2024, शनिवार रात 10 बजकर 41 मिनट से
त्रयोदशी तिथि समापन: 22 अप्रैल 2024 सोमवार मध्य रात्रि 01 बजकर 11 मिनट तक
ऐसे करें पूजा
- इस दिन सूर्य उदय होने से पहले उठें।
- नहा धोकर साफ हल्के सफेद या गुलाबी कपड़े पहनें।
- सूर्य नारायण जी को तांबे के लोटे से जल में शक्कर डालकर अर्घ्य दें।
- सारा दिन भगवान शिव के मन्त्र ॐ नमः शिवाय मन ही मन जाप करते रहें और निराहार रहें।
- सांध्य के समय प्रदोष काल में भगवान शिव को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से स्न्नान कराएं।
- शुद्ध जल से स्न्नान कराकर रोली मौली चावल धूप दीप से पूजन करें।
- साबुत चावल की खीर और फल भगवान शिव को अर्पण करें।
- आसन पर बैठकर ॐ नमः शिवाय मन्त्र या पंचाक्षरी स्तोत्र का 5 बार पाठ करें।
मंत्र
ॐ जूं सा: ॐ घ्रणि सूर्याय नम: का जाप करें। शिव और सूर्य देव के इस मंत्र से समस्त कष्ट दूर होंगी।
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