राम मंदिर निर्माण: इन दो दिग्गज कंपनियों ने किया राम मंदिर का निर्माण, उच्च तीव्रता वाले भूकंप को सह सकती है इमारत

  • टाटा समूह ने तीर्थ क्षेत्र टेम्पल के निर्माण किया है
  • मंदिर के कंस्ट्रक्शन वर्क का काम एलएंडटी ने किया
  • मंदिर को मजबती प्रदान करने में नहीं छोड़ी कोई कसर

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-05 14:40 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। अयोध्या में भगवान श्री राम के भव्य मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी 2024 को होगा। इसकी तैयारी भी जोरों शोरों से की जा रही हैं। देशवासी उत्साहित हैं और कई स्थानों पर अभी से कार्यक्रम भी आयोजित किए जाने लगे हैं। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर भी दुनियाभर से श्रद्धालू पहुंचने का अनुमान है। इसको लेकर पुख्ता इंतजाम भी किए जा रहे हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं राम मंदिर का निर्माण किस कंपनी ने किया है। आज की इस रिपोर्ट में आप जानेंगे इस मंदिर को बनाने वाली उन कंपनियों के बारे में, जिन्होंने भव्य राम मंदिर को बनाया है। 

राम मंदिर को किसी विदेशी नहीं बल्कि देश के ही 150 साल पुराने टाटा समूह और दिग्गज निर्माण कंपनी एलएंडटी ने मिलकर बनाया है। टाटा समूह ने अयोध्या के राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र टेम्पल के निर्माण में अपना योगदान दिया है। वहीं टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स कंपनी ने इस मंदिर के निर्माण में मैनेजमेंट कंसल्टेंट्स के तौर पर काम किया है। जबकि, प्रोजेक्ट का कंस्ट्रक्शन वर्क एलएंडटी ने संभाला है।

मंदिर की मजबूती

एलएंडटी के अनुसार, राम मंदिर को मजबूती प्रदाने करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है। इसका फाउंडेशन इतना मजबूत है कि, यह भूकंप को झेल सकता है। एलएंडटी के परियोजना निदेशक विनोद कुमार मेहता के अनुसार, मंदिर निर्माण में इस्तेमाल किए गए पिलर की मोटाई को बढ़ाया है। वहीं दीवारों में भी भारी पत्थरों का इस्तेमाल किया है। इस मंदिर की नींव को मजबूत बनाने के लिए उसमें भी भारी पत्थरों को ही लगाया गया है, जिससे भविष्य में किसी तरह की कोई परेशानी ना हो। भव्य राम मंदिर की इमारत को नीचे से ऊपर तक जबरदस्त मजबूती के साथ तैयार किया गया है। जिससे इसे भूकंप के बड़े झटके भी किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचा सकते।

वहीं श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के अनुसार, अगले एक हजार साल तक मंदिर को किसी मरम्मत की जरूरत पड़ेगी, ना ही इसमें किसी तरह की कोई दिक्कत आएगी। इसके निर्माण में स्टील या लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया। बल्कि 50 फीट गहरी और पूरी तरह से पत्थर, सीमेंट व अन्य दूसरी सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। नींव के लिए पहले एक 50 फीट गहरा, 400 फीट लंबा और 300 फीट चौड़ा गड्ढा खोदा गया जिसे फ्लाइ एश (राख) और छोटे पत्थरों सहित अन्य निर्माण सामग्री और ठोस सीमेंट की परतों से भरा गया है। मंदिर को इस तरह से बनाया गया है कि, यह 6.5 रिक्टर पैमाने जैसी उच्च तीव्रता वाले भूकंप को भी आसानी से सह सकता है।

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