Pradosh Vrat: इस विधि से करें महादेव की पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व

  • व्रत से महादेव की विशेष कृपा प्राप्त होती
  • जीवन में सुख शांति का आगमन होता है
  • भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा होती है

Bhaskar Hindi
Update: 2024-03-20 10:50 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। देवों के देव महादेव को समर्पित प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) हर माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथी को रखा जाता है। तिथि के अनुसार यह व्रत माह में दो बार आता है और दिन के नाम के अनुरूप इसका नाम होता है। फिलहाल, फाल्गुन माह की त्रयोदशी तिथि 22 मार्च 2024 को है। यह शुक्रवार को पड़ रहा है ऐसे में इसका नाम शक्र प्रदोष है। ऐसा माना जाता है कि, इस दिन व्रत रखने से महादेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख शांति का आगमन होता है।

बता दें कि, इस व्रत में भक्त भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन को विभिन्न प्रकार के धार्मिक कार्यों को करने के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है। आइए जानते हैं, प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में...

शुभ मुहूर्त

त्रयोदशी तिथि आरंभ: 22 मार्च 2024, शाम 6 बजकर 17 मिनट से

त्रयोदशी तिथि समापन: 22 मार्च 2024, रात 8 बजकर 46 मिनट तक

प्रदोष व्रत की विधि

- प्रदोष व्रत करने के लिए व्रती को त्रयोदशी के दिन सूर्योदय से उठना चाहिए।

- इसके बाद स्नानादि से निवृत्त होकर सूर्य निकलने पर अर्ध्य दें और व्रत का संकल्प लें।

- पूरे दिन उपावस रखने के बाद सूर्यास्त से पहले स्नानादि कर श्वेत वस्त्र धारण करें।

- पूजन स्थल को शुद्ध करने के बाद गाय के गोबर से लीपकर, मंडप तैयार करें।

- इस मंडप में पांच रंगों का उपयोग करते हुए रंगोली बनांए

- उत्तर- पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें और भगवान शिव का पूजन करें।

- पूजन में भगवान शिव के मंत्र ऊँ नम शिवाय का जाप करते हुए जल चढ़ाएं।

- इस बात का ध्यान रखें कि प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में ही करें।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

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