व्रत: कल है पौष पुत्रदा एकादशी, इस विधि से करें भगवान विष्णु की पूजा
- इस एकादशी को वैकुंठ एकादशी भी कहा जाता है
- पुत्र प्राप्ति की कामना के लिए किया जाता है व्रत
- यह व्रत बहुत ही शुभ फलदायक माना गया है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का काफी महत्व माना जाता है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और भगवान श्री हरि यानि कि विष्णु जी की विधि विधान से पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि, एकादशी के दिन व्रत करने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। अलग अलग माह में आने वाली एकादशी को भिन्न नामों से जाना जाता है। फिलहाल, पौष माह चल रहा है और इस माह में आने वाली एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा इसे भारत के कुछ क्षेत्रों में वैकुंठ एकादशी, स्वर्गावथिल एकादशी या मुक्तकोटि एकादशी भी कहा जाता है।
इस बार यह एकादशी 21 जनवरी यानी कि रविवार को है। ऐसा कहा जाता है कि, जिन व्यक्तियों को संतान होने में बाधाएं आती हैं या जिन्हें पुत्र प्राप्ति की कामना हो उन्हें पुत्रदा एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। ये व्रत बहुत ही शुभ फलदायक होता है। आइए जानते हैं इस व्रत की पूजा विधि और मुहूर्त...
शुभ मुहूर्त
तिथि आरंभ: 20 जनवरी 2024, शनिवार शाम 7 बजकर 26 मिनट से
तिथि समापन: 21 जनवरी 2024, रविवार शाम 7 बजकर 26 मिनट तक
पारण का मुहूर्त: 22 जनवरी 2024, सोमवार सुबह 7 बजकर 14 मिनट से लेकर 9 बजकर 21 मिनट तक
इस विधि से करें पूजा
पुत्रदा एकादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त हों।
इसके बाद भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं और व्रत का संंकल्प लें।
घर के मंदिर में सफाई करें।
इस दिन विष्णु जी के बाल कृष्ण स्वरूप की पूजा करनी चाहिए।
इसके लिए बाल गोपाल की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं।
इसके बाद उनको चंदन से तिलक करके वस्त्र धारण कराएं।
इसके बाद पुष्प अर्पित करें और धूप-दीप आदि से आरती और अर्चना करें।
इसके बाद भगवान पर फल, नारियल, बेर, आंवला लौंग, पान आैर सुपारी अर्पित करें।
इस दिन दीप दान करने का महत्व भी अत्यंत महत्व होता है।
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