पौष पूर्णिमा 2024: पवित्र नदियों में स्नान करने का है महत्व, जानें पूजा की विधि और मुहूर्त
- इस दिन दान करने का अत्यधिक महत्व है
- सूर्य को अर्घ्य देने का विशेष महत्व होता है
- चंद्रोदय 25 जनवरी करीब 5 बजकर 29 पर
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, पौष माह में शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पौष पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। वैसे तो सनातन धर्म में पूर्णिमा का काफी महत्व है, लेकिन इस दिन यह और भी बढ़ जाता है। इस साल यह तिथि 25 जनवरी 2024 दिन गुरुवार को है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पौष पूर्णिमा के दिन सूर्य देव और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विधान है। इस दिन गंगा यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान, दान और सूर्य को अर्घ्य देने का विशेष महत्व होता है।
इस दिन व्रत के अलावा रात्रि के समय में चंद्र देव और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि, इससे मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। वहीं ज्योतिषाचार्य की मानें तो इस बार पुनर्वसु नक्षत्र, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और गुरु पुष्य योग का अद्भुत संयोग भी बन रहा है। शुभ योग में पुण्य और धार्मिक काम करने से सर्वोत्तम फल की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि...
पौष पूर्णिमा तिथि कब
तिथि आरंभ: 24 जनवरी 2024 की रात 9 बजकर 24 मिनट से
तिथि समापन: 25 जनवरी 2024 की रात 11 बजकर 23 मिनट तक
शुभ मुहूर्त: दोपहर 12:12 बजे से 12:55 बजे तक अभिजीत मुहूर्त
चंद्रोदय का समय: 25 जनवरी करीब 5 बजकर 29 पर
पूजा विधि
- पौष पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें।
- इस दिन पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए, यदि जाना संभव ना हो तो नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए।
- स्नान के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें।
- अब घर के मंदिर की सफाई करें।
- मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति, तस्वीर या कैलेंडर के आगे दीपक जलाएं।
- श्रीकृष्ण को नैवेद्य और फल अर्पित करें।
- इसके बाद विधिवत आरती उतारें।
- रात के समय भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ें, सुनें या सुनाएं।
- कथा के बाद भगवान की आरती उतारें और चंद्रमा की पूजा करें।
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