नवरात्र में जौ बोने के क्या हैं मायने? उगने के बाद घर में आती है सुख-समृद्धि
नवरात्रि स्पेशल-2022 नवरात्र में जौ बोने के क्या हैं मायने? उगने के बाद घर में आती है सुख-समृद्धि
डिजिटल डेस्क, भोपाला। नवरात्रि हिन्दू धर्म के पवित्र त्यौहारों में से एक है। जो साल में दो बार बेहद धूम-धाम से मनाया जाता है। जिसमें मां दुर्गा के 9 स्वरुपों की पूजा की जाती हैं। शारदीय नवरात्र में पहले दिन कलश स्थापना कर जौ को बोना काफी शुभ माना जाता है। माना जाता है कि धरती पर पहले अगर कोई फसल बोई गई तो वह जौ है। शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा के नौ स्वरुपों को भक्त गण अपने घरों में कलश स्थापना कर पूजा-अर्चना करते हैं। कलश स्थापना के समय ही जौ बोए जाते हैं, बिना जौ के माता की पूजा अधूरी मानी जाती है। मान्यता है कि जौ जिस तेजी से बढ़ता है उससे पता चलता है कि आपके जीवन में क्या शुभ और अशुभ होने वाला है।
जौ के शुभ संकेत
ऐसी मान्यता है कि नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना के समय बोये गए जौ तेजी से बढ़ने लगे और उसका रंग हरा या पीला हो तो बेहद शुभ माना जाता है। जिसका अर्थ है कि आपके घर से बुराई दूर होने वाली है और परिवार में सुख समृध्दि व खुशहाली आएगा। इसका अर्थ ये भी निकाला जाता है कि मां कि पूजा आपने बड़ी विधि-विधान से की है और आपकी आराधना से माता प्रसन्न हुईं और मां दुर्गा का आशीर्वाद आपके परिवार पर बना हुआ है।
जौ के अशुभ संकेत
अगर नवरात्रि में बोये हुए जौ तेजी से बढ़ नहीं रहे है और सूखने लगे है तो इसे बेहद अशुभ माना जाता है। जिसका अर्थ होता है कि आपके जीवन में परेशानियां आने वाली है, आप सतर्क हो जाएं और इसका समाधान तुरंत करना होगा। जिसके लिए आपको माता रानी की पूजा बडे़ ध्यान व विधि विधान से करने होगें ताकि मां प्रसन्न होकर आपकी कृपा बरसाएं।
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