ये व्रत दिलाता है पाप कर्मों से मुक्ति, इन बातों का रखें ध्यान
वरुथिनी एकादशी 2022 ये व्रत दिलाता है पाप कर्मों से मुक्ति, इन बातों का रखें ध्यान
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का काफी महत्व है, हर माह में दो एकादशी होती हैं। इनमें से एक कृष्ण पक्ष और दूसरी शुक्ल पक्ष में आती है। फिलहाल, कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 26 अप्रैल को है, वैशाख माह में आने के कारण इसे वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। पुराणों में इस एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है। इस व्रत को करने से जातक को उसके सभी पापों कर्मों से मुक्ति मिलती है।
शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को करने से व्यक्ति को हर तरह के दुखों से मुक्ति मिलती है और सुख की प्राप्ति होती है। वहीं ज्योतिषाचार्य के अनुसार, वरूथिनी एकादशी का व्रत धारण करने से एक दिन पहले अर्थात् दशमी तिथि से ही उपवास रखने वाले व्यक्ति को नियमों का अनुपालन करना पड़ता है।
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व्रत विधि
वरुथिनी एकादशी का व्रत करने के लिए सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
इस दिन स्नान के लिए आंवले का लेप, मिट्टी, और तिल का प्रयोग किया जाता है।
व्रत का संकल्प लेने के बाद विष्णु जी की पूजा की जाती है।
पूजा करने के लिए धान का ढेर रखकर उस पर मिट्टी या तांबे का घड़ा रखा जाता है।
घड़े पर लाल रंग का वस्त्र बांधकर, उसपर भगवान विष्णु की पूजा, धूप, दीप और पुष्प से की जाती है।
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इन बातों का रखें ध्यान
- व्रती को इस दिन कांसे के बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए।
- व्रती को नॉन वेज, मसूर की दाल, चने व कोदों की सब्जी और शहद का सेवन नहीं करना चाहिए।
- इस दिन व्रतियों को पान खाने और दातुन करने की मनाही है।
- इस दिन दिन जुआ नहीं खेलना चाहिए, ना ही किसी तरह का कुकर्म इस दिन करना चाहिए।
- व्रत में क्रोध करना या झूठ बोलना भी मना ही है।
- व्रती को दूसरों की निन्दा तथा अधर्मी लोगों की संगत से भी बचना चाहिए।
- जातक को इस रात को सोना नहीं चाहिए, अपितु जातक के परिवार के जनों को रात्रि में ईश्वर भजनों से जागरण करना चाहिए।