वैशाख पूर्णिमा 2020: श्री हरि विष्णु के अवतार भगवान बुद्ध की जयंती आज, करें ये काम
वैशाख पूर्णिमा 2020: श्री हरि विष्णु के अवतार भगवान बुद्ध की जयंती आज, करें ये काम
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वैशाख मास की पूर्णिमा को वैशाखी पूर्णिमा, पीपल पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। वैशाख मास की पूर्णिमा को स्नान-दान के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। शास्त्रीय मान्यता है कि इस दिन किसी पवित्र नदी या जलाशय में स्नान करना हजारों पुण्य के बराबर फल दिलाने वाला होता है। इस बार वैशाख पूर्णिमा 07 मई गुरूवार यानी कि आज है। इस दिन भगवान विष्णु की साधना-आराधना बेहद शुभ मानी गई है। इसी दिन विष्णु के अवतार भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन स्नान और दान का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।
मान्यता है कि इस दिन ध्यान, दान और स्नान विशेष लाभकारी होता है। पुराणों के अनुसार इस दिन ब्रह्म देव ने काले और सफेद तिलों का निर्माण भी किया था। अतः इस दिन तिलों का प्रयोग जरूर करना चाहिए। आइए जानते हैं मुहूर्त और पूजा विधि...
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वैशाख पूर्णिमा मुहूर्त:
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 06 मई, 2020 को शाम 07:44 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - 07 मई, 2020 को शाम 04:14 बजे
स्नान-दान
वैशाख मास की पूर्णिमा को स्नान-दान की पूर्णिमा भी कहा जाता है। वैशाख पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का अत्यधिक महत्व है। मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिल जाती है। हालांकि इस वर्ष लॉकडाउन होने के चलते लोग घरों से नहीं निकल सकेंगे। ऐसे में आप घर में ही स्नान के पानी में गंगा जल को मिलाकर स्नान कर सकते हैं। इस दौरान गंगा का ध्यान अपने मन में करें, इससे आपको गंगा स्नान का फल प्राप्त होगा।
भगवान बुद्ध से पूर्णिमा का सम्बन्ध
वैशाख पूर्णिमा पर भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। इसी दिन भगवान बुद्ध को ज्ञान भी मिला था। इसी दिन भगवान बुद्ध ने अपनी देह का त्याग भी किया था। वैशाख पूर्णिमा भगवान बुद्ध के जीवन से बहुत गहराई से जुड़ी हुई है। इस दिन भगवान बुद्ध का ध्यान करना विशेष लाभदायक होता है।
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इस दिन करें ये काम
- वैशाख पूर्णिमा के दिन प्रातः काल स्नान के पूर्व संकल्प लें।
- पहले जल को सर पर लगाकर प्रणाम करें।
- इसके बाद स्नान करना आरम्भ करें।
- साफ वस्त्र या सफेद वस्त्र धारण करें।
- स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ्य दें।
- यदि आप व्रत करना चाहते हैं तो स्नान के बाद व्रत का संकल्प भी ले सकते हैं।
- चाहें तो इस दिन जल और फल ग्रहण करके उपवास रख सकते हैं
- रात में फूल, धूप, दीप, अन्न, गुड़ आदि से चंद्रमा की पूजा करें।
- इसके बाद जल अर्पित करें।
- पूजन के बाद ब्राह्मण को जल से भरा हुआ घड़ा दान करें।
- इसके अलावा घर के बने हुए पकवान भी दान करें।