चैत्र मास के सोम प्रदोष पर इस विधि से करें पूजा, मिलेगी महादेव की कृपा 

व्रत  चैत्र मास के सोम प्रदोष पर इस विधि से करें पूजा, मिलेगी महादेव की कृपा 

Bhaskar Hindi
Update: 2023-04-03 11:46 GMT
चैत्र मास के सोम प्रदोष पर इस विधि से करें पूजा, मिलेगी महादेव की कृपा 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार प्रदोष व्रत त्रयोदशी के दिन रखा जाता है। वहीं चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 03 अप्रैल 2023 यानि कि आज सोमवार को है। इस दिन भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस व्रत को रखने से भक्तों के अन्दर सकारात्मक विचार आते हैं और वह अपने जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं। 

ज्योतिषाचार्य के अनुसार, सोम प्रदोष व्रत पर चंद्रमा सूर्य की राशि में रहेंगे और पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र का प्रभाव बना रहेगा। बता दें कि प्रत्येक माह में दो प्रदोष आते हैं, वहीं दिन के नाम के तहत इसका नाम होता है। जैसे सोमवार को आने पर सोम प्रदोष। आइए जानते हैं इस दिन का महत्व, पूजा विधि और उपाय...

शुभ मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि का आरंभ:  3 अप्रैल सुबह 6 बजकर 25 मिनट
त्रयोदशी तिथि का समापन:  4 अप्रैल सुबह 8 बजकर 6 मिनट
प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त:  शाम 5 बजकर 55 मिनट से 7 बजकर 30 मिनट तक 

प्रदोष व्रत का महत्व
शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत को रखने से दो गायों को दान देने के समान पुण्य फल प्राप्त होता है। प्रदोष व्रत को लेकर एक पौराणिक तथ्य सामने आता है कि 'एक दिन जब चारों ओर अधर्म की स्थिति होगी, अन्याय और अनाचार का एकाधिकार होगा, मनुष्य में स्वार्थ भाव अधिक होगा। व्यक्ति सत्कर्म करने के स्थान पर नीच कार्यों को अधिक करेगा। उस समय में जो व्यक्ति त्रयोदशी का व्रत रखकर भगवान शिव की आराधना करेगा, उस पर शिव जी की कृपा होगी।  इस व्रत को रखने वाला व्यक्ति जन्म-जन्मान्तर के फेरों से निकल कर मोक्ष मार्ग पर आगे बढता है। उसे उत्तम लोक की प्राप्ति होती है।

प्रदोष व्रत की विधि
- प्रदोष व्रत करने के लिए व्रती को त्रयोदशी के दिन सुबद सूर्योदय से पहले उठना चाहिए। 
- नित्यकर्मों से निवृ्त होकर भोले नाथ का स्मरण करें। 
- व्रत में आहार नहीं लिया जाता है। 
- पूरे दिन उपावस रखने के बाद सूर्यास्त से पहले स्नानादि कर श्वेत वस्त्र धारण करें। 
- पूजन स्थल को शुद्ध करने के बाद गाय के गोबर से लीपकर, मंडप तैयार करें। 
- इस मंडप में पांच रंगों का उपयोग करते हुए रंगोली बनाएं। 
- उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें और भगवान शिव का पूजन करें। 
- पूजन में भगवान शिव के मंत्र 'ऊँ नम: शिवाय' का जाप करते हुए जल चढ़ाएं।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

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