सोम प्रदोष: इस विशेष मंत्र से करें भगवान शिव को प्रसन्न, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त
सोम प्रदोष: इस विशेष मंत्र से करें भगवान शिव को प्रसन्न, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देवों के देव महादेव की पूजा के लिए सोमवार का दिन विशेष माना गया है। वहीं ऐसा माना जाता है कि प्रदोष व्रत से भगवान भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न होते हैं। जून का पहला प्रदोष व्रत 07 जून को है, खास बात यह कि इस तिथि के साथ दिन सोमवार पड़ रहा है, जो कि एक अच्छा संयोग है। बता दें कि यह व्रत दिन के हिसाब से अलग- अलग नामों से जाना जाता है। जैसे कि सोमवार के दिन आने पर इसे सोम प्रदोष कहा जाता है। भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत को करने से जीवन से नकारात्मकता समाप्त होती है और सफलता मिलती है।
पौराणिक मान्यता है कि इस व्रत को करने वाले जातकों की मनोकामनाएं भगवान शिव पूरी करते हैं और पाप-कष्टों का नाश होता है। भगवान शिव की आराधना से सौभाग्य प्राप्त होता है। विवाहित जोड़ों के दाम्पत्य जीवन में सुख-शान्ति रहती है। इस दिन शिवालय में जाकर विधि विधान से पूजा करना चाहिए। हालांकि कोरोना वायरस की दूसरी लहर के कारण पूजा घर पर ही करें। आइए जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि...
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शुभ मुहूर्त
तिथि आरंभ: 7 जून सोमवार, सुबह 08 बजकर 48 मिनट से
तिथि समापन: 08 जून मंगलवार, सुबह 11 बजकर 24 मिनट तक
प्रदोष व्रत सामग्री
प्रदोष व्रत पर भगवान की पूजा के लिए सफेद पुष्प, सफेद मिठाइयां, सफेद चंदन, सफेद वस्त्र, जनेउ, जल से भरा हुआ कलश, धूप, दीप, घी,कपूर, बेल-पत्र, अक्षत, गुलाल, मदार के फूल, धतुरा, भांग, हवन सामग्री आदि, आम की लकड़ी की आवश्यकता होती है।
प्रदोष व्रत पूजा
- प्रदोष व्रत के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर नित्य क्रम से निवृत हों और स्नान करें।
- इसके बाद सूर्यदेव को जल दें और व्रत का संकल्प दें।
- प्रदोष काल में यानी सुर्यास्त से तीन घड़ी पूर्व, शिव जी का पूजन करें।
- प्रदोष व्रत के दौरान पूरे दिन निराहार रहें।
- प्रदोष व्रत की पूजा संध्या काल 4:30 बजे से लेकर संध्या 7:00 बजे के बीच करें।
- संध्या काल में पुन: स्नान कर स्वच्छ श्वेत वस्त्र धारण कर लें।
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- पूजा स्थल अथवा पूजा गृह को शुद्ध कर लें।
- पांच रंगों से रंगोली बनाकर मंडप तैयार करें।
- पूजन की सभी सामग्री एकत्रित कर लें।
- कलश अथवा लोटे में शुद्ध जल भर लें।
- कुश के आसन पर बैठ कर शिव जी की पूजा विधि-विधान से करें।
- “ऊँ नम: शिवाय ” कहते हुए शिव जी को जल अर्पित करें।