इस व्रत को करने से संतान के जीवन की समस्या होगी खत्म, जानें पूजा की विधि

स्कंद षष्ठी 2023 इस व्रत को करने से संतान के जीवन की समस्या होगी खत्म, जानें पूजा की विधि

Bhaskar Hindi
Update: 2023-02-24 11:30 GMT
इस व्रत को करने से संतान के जीवन की समस्या होगी खत्म, जानें पूजा की विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाता है। फाल्गुन महीने में स्कंद षष्ठी का व्रत 25 फरवरी 2023 को रखा जाएगा। मान्यता है कि, इस दिन व्रत रखने से संतान की समस्याएं कम होने के साथ अपने आस- पास की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है। यह दिन भगवान शिव के बड़े पुत्र और देवताओं के सेनापति स्कंद कुमार यानी भगवान कार्तिकेय को समर्पित है।
 
पुराणों के अनुसार, इस दिन संसार में हो रहे कुकर्मों को समाप्त करने के लिए कार्तिकेय का जन्म हुआ था। स्कन्द, मुरुगन, सुब्रमण्यम यह सभी नाम भगवान कार्तिकेय के हैं। बताया जाता है कि स्कंद षष्ठी की उपासना से च्यवन ऋषि को आंखों की ज्योति प्राप्त हुई थी। इस दिन यह भी बताया गया है कि स्कंद षष्ठी की कृपा से प्रियव्रत के मृत शिशु के प्राण लौट आए थे। आइए जानते हैं स्कंद षष्ठी पूजा की विधि और मुहूर्त...

शुभ मुहूर्त
तिथि आरंभ: 25 फरवरी, शनिवार रात 12 बजकर 31 मिनट से
तिथि समापन: 26 फरवरी, रविवार रात 12 बजकर 20 मिनट से 

पूजा विधि
- स्नानादि से निवृत्त होने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- घर के मंदिर को साफ करें और सूर्य को जल चढ़ाएं।
- इसके बाद भगवान कार्तिकेय की पूजा का संकल्प लें।
- भगवान शिव और माता पार्वती के साथ भगवान स्कंद की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। सबसे पहले भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। 
- इसके बाद अक्षत्, धूप, दीप, फूल, गंध, फल आदि से भगवान कार्तिकेय की पूजा करें। भगवान कार्तिकेय के मंत्रों का जाप करें। 
- पूजा के अंत में आरती करें। 
- भगवान स्कंद से प्रार्थना करें और फिर प्रसाद लोगों में वितरित करें।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

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