दुर्गाष्टमी पर इस तरह करें माता महागौरी की पूजा, बनेंगे बिगड़े काम
शारदीय नवरात्र का आठवां दिन दुर्गाष्टमी पर इस तरह करें माता महागौरी की पूजा, बनेंगे बिगड़े काम
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मां दुर्गा के आठवें रूप में महागौरी की पूजा की जाती है। शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन यानी कि 03 अक्टूबर, सोमवार को यह पूजा की जाएगी। महागौरी को आदि शक्ति माना गया है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पूजा पाठ करने से और उपवास रखने से सभी प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती हैं। मां महागौरी भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं और उनके बिगड़े कामों को पूरा करती हैं।
पुराणों के अनुसार, इनके तेज से संपूर्ण विश्व प्रकाशमान होता है। मां के इस रूप के पूजन से शारीरिक क्षमता का विकास होने के साथ मानसिक शांति भी बढ़ती है। दुर्गा सप्तशती के अनुसार, शुंभ निशुंभ से पराजित होने के बाद देवताओं ने गंगा नदी के तट पर देवी महागौरी से ही अपनी सुरक्षा की प्रार्थना की थी। आइए जानते हैं माता के स्वरूप और पूजा विधि के बारे में...
शुभ मुहूर्त
तिथि आरंभ: 02 अक्टूबर 2022, रबिवार शाम 06 बजकर47 मिनट से
तिथि समापन: 03 अक्टूबर, सोमवार शाम 04 बजकर 37 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त: सुबह 11.52 से दोपहर 12.39
अमृत काल: शाम 07.54 से रात 09.25
शोभन योग - 02 अक्टूबर, शाम 05.14 से 03 अक्टूबर दोपहर 02.22 तक
महागौरी का स्वरूप
महागौरी का वर्ण एकदम सफेद है। मां के सभी आभूषण और वस्त्र सफेद रंग के हैं। इनकी चार भुजाएं हैं, जिसमें ऊपर वाला दाहिना हाथ अभय मुद्रा है और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है। मां के ऊपर वाले बांए हाथ में डमरू और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा है। मां का वाहन वृषभ है इसीलिए उन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है। हालांकि मां सिंह की सवारी भी करती हैं।
पूजा विधि
- इस दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त हों।
- इसके बाद लकड़ी की चौकी या घर के मंदिर में महागौरी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- अब अपने हाथ में फूल लें और मां महागौरी का ध्यान करें।
- इसके बाद मां महागौरी की प्रतिमा के आगे दीपक चलाएं।
- इसके बाद मां को फल, फूल और नैवेद्य चढ़ाएं।
- अब मां की आरती उतारें और सभी को आरती दें।
- इस दिन कन्या पूजन श्रेष्ठ माना जाता है, ऐसे में नौ कन्याओं और एक बालक को घर पर आमंत्रित करें, उन्हें खाना खिलाएं।
- अब उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें और उन्हें विदा करें।
- यहां आमंत्रित कन्याओं और बाल को उपहार देना भी श्रेष्ठ होता है।