माता के चन्द्रघंटा स्वरूप की इस विधि से करें पूजा, बुरी शक्तियों का होगा खात्मा

शारदीय नवरात्र का तीसरा दिन माता के चन्द्रघंटा स्वरूप की इस विधि से करें पूजा, बुरी शक्तियों का होगा खात्मा

Bhaskar Hindi
Update: 2022-09-27 10:14 GMT
माता के चन्द्रघंटा स्वरूप की इस विधि से करें पूजा, बुरी शक्तियों का होगा खात्मा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन मां चन्द्रघंटा को समर्पित है। यह माता दुर्गा का तीसरा स्वरूप कहा जाता है। मां का यह रूप अत्यंत सौम्यता और शांति से परिपूर्ण है। इनकी आराधना से वीरता- निर्भयता के साथ ही सौम्यता एवं विनम्रता का विकास होकर मुख, नेत्र तथा संपूर्ण काया में कांति- गुण की वृद्धि होती है। विद्यार्थियों के लिए मां साक्षात विद्या प्रदान करती है। मां चन्द्रघंटा साधकों की सभी प्रकार से रक्षा करती हैं।

माता की तीसरी आंख हमेशा खुली रहती है, जो राक्षसों और बुरी शक्तियों पर हमेशा अपनी नजर बानाए रखती हैं और राक्षसों से युद्ध के लिए हमेशा तैयार रहती हैं। मां चन्द्रघंटा को चंडिका और रणचंणी के नाम से भी जाना जाता है। इस बार मां चंद्रघंटा की पूजा 28 सितंबर, बुधवार को की जा रही है। आइए जानते हैं पूजा विधि के बारे में...

पूजन विधी 

⦁    मां का पूजन करते समय तन और मन को हमेंशा साफ रखें और मन को मलीन ना होने दें। 
⦁    पुजन के समय लाल रंग के वस्त्र को धारण करें। 
⦁    मां चन्द्रघंटा को चमेली के पुष्प अर्पीत करेंए यह पुष्प मां को प्रिय हैं।   
⦁    लाल चुनरी चढाएं और रक्त चंदन का तिलक करें।
⦁    दिपक प्रज्वलित कर दुर्गा चालीसा का पाढ करें और मां चन्द्रघंटा की स्तुति करें। 
⦁    मां चन्द्रघंटा के मंत्र का 108 बार जप करके फिर मां चन्द्रघंटा  की आरती करें 
मां चन्द्रघंटा स्तुति. या देवी सर्वभूतेषू मां चन्द्रघंटा रूपेण संस्थिताए नमस्तस्यैए नमस्तस्यैए नमस्तस्यै नमो नमः॥ 
मां चन्द्रघंटा मंत्र. ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥ 

मां चन्द्रघंटा आरती 
जय माँ चन्द्रघंटा सुख धाम। पूर्ण कीजो मेरे काम॥
चन्द्र समाज तू शीतल दाती। चन्द्र तेज किरणों में समाती॥
क्रोध को शांत बनाने वाली। मीठे बोल सिखाने वाली॥
मन की मालक मन भाती हो। चंद्रघंटा तुम वर दाती हो॥
सुन्दर भाव को लाने वाली। हर संकट में बचाने वाली॥
हर बुधवार को तुझे ध्याये। श्रद्दा सहित तो विनय सुनाए॥
मूर्ति चन्द्र आकार बनाए। शीश झुका कहे मन की बाता॥
पूर्ण आस करो जगत दाता। कांचीपुर स्थान तुम्हारा॥
कर्नाटिका में मान तुम्हारा। नाम तेरा रटू महारानी॥
भक्त की रक्षा करो भवानी।।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष, वास्तुशास्त्री) की सलाह जरूर लें।
 

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