Navratri 2020: शारदीय नवरात्रि आज से, जानें घट स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Navratri 2020: शारदीय नवरात्रि आज से, जानें घट स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Bhaskar Hindi
Update: 2020-10-16 09:41 GMT
Navratri 2020: शारदीय नवरात्रि आज से, जानें घट स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शक्ति उपासना का पर्व यानी कि शारदीय नवरात्रि आज यानी शनिवार, 17 अक्तूबर से आरंभ होने जा रहा है। अश्विन माह की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक देवी के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-आराधना की जाएगी। इस नौ दिनों के उत्सव में भक्त देवी की आराधना करते हैं। वैसे तो साल में दो बार नवरात्र आते हैं, लेकिन शारदीय नवरात्र की विशेषता है कि घरों में कलश स्थापना के साथ-साथ पूजा पंडालों में भी स्थापित करके मां भगवती की आराधना की जाती है। 

प्रतिपदा तिथि को माता के प्रथम स्वरूप शैल पुत्री के साथ ही कलश स्थापना के लिए भी अति महत्त्वपूर्ण दिन होता है। कलश स्थापना या कोई भी शुभ कार्य शुभ समय एवं तिथि में किया जाना उत्तम होता है। तो आइए जानते हैं घट या कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त के बारे में...

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शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:36 से दोपहर 12:24 तक 
स्थिर लग्न कुम्भ- दोपहर 2:30 से 3:55 तक 
चौघड़िया/कलश स्थापना-दोपहर 2:30 से 3:55 तक 
दूसरा स्थिर लग्न वृष- शाम 07:06 से रात 09:02 बजे तक  
शुभ चौघड़िया- 07:30 तक 
कलश स्थापना- शाम 07:08 से 07:30 बजे तक

ऐसे करें कलश स्थापना
इस दिन स्नान-ध्यान करके माता दुर्गा, भगवान गणेश, नवग्रह कुबेरादि की मूर्ति के साथ कलश स्थापना करें। कलश के ऊपर रोली से ॐ और स्वास्तिक लिखें। कलश स्थापना के समय अपने पूजा गृह में पूर्व के कोण की तरफ अथवा घर के आंगन से पूर्वोत्तर भाग में पृथ्वी पर सात प्रकार के अनाज रखें। फिर जौ भी डालें और इसके बाद कलश में गंगाजल, लौंग, इलायची, पान, सुपारी, रोली, कलावा, चंदन, अक्षत, हल्दी, रुपया, पुष्पादि डालें। फिर "ॐ भूम्यै नमः" कहते हुए कलश को सात अनाजों सहित रेत के ऊपर स्थापित करें।

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इसके बाद कलश में थोड़ा और जल या गंगाजल डालते हुए "ॐ वरुणाय नमः" बोलें और जल से भर दें। इसके बाद आम का पल्लव कलश के ऊपर रखें। इसके बाद जौ अथवा कच्चा चावल कटोरे में भरकर कलश के ऊपर रखें। अब उसके ऊपर चुन्नी से लिपटा हुआ नारियल रखें।

इसके बाद हाथ में हल्दी, अक्षत पुष्प लेकर इच्छित संकल्प लें और "ॐ दीपो ज्योतिः परब्रह्म दीपो ज्योतिर्र जनार्दनः! दीपो हरतु मे पापं पूजा दीप नमोस्तु ते मंत्र का जाप करते दीप पूजन करें। कलश पूजन के बाद नवार्ण मंत्र "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे!" से सभी पूजन सामग्री अर्पण करते हुए मां शैलपुत्री की पूजा करें।

 

 
 

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