व्रत: शरद पूर्णिमा पर इस विधि से करें पूजा, रखें इन बातों का ख्याल
व्रत: शरद पूर्णिमा पर इस विधि से करें पूजा, रखें इन बातों का ख्याल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस साल ये तिथि 30 अक्टूबर यानी कि आज है। माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात में चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है और वह इस रात अपनी 16 कलाओं में परिपूर्ण होता है। इसे अमृत काल भी कहा जाता है। इस व्रत को आश्विन पूर्णिमा, कोजगारी पूर्णिमा और कौमुदी व्रत के नाम से भी जानते हैं। इस रात्रि में चंद्रमा का प्रकाश सबसे तेजवान और ऊर्जावान होता है। साथ ही इस रात से शीत ऋतु का आरंभ भी होता है।
ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा में चंद्रमा अपनी किरणों के माध्यम से अमृत गिराते हैं। रावण शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा से निकलने वाली किरणों को दर्पण के माध्यम से अपनी नाभि में ग्रहण करता था और साथ ही पुनर्यौवन शक्ति प्राप्त करता था। वहीं एक अन्य मान्यता है कि इस दिन महालक्ष्मी का जन्म हुआ था। कहते हैं कि समुद्र मंथन के दौरान देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं।
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शुभ मुहूर्त
30 अक्टूबर की शाम 05:47 मिनट से
31 अक्टूबर की रात 08:21 मिनट तक
महत्व
हिन्दू धर्म में शरद पूर्णिमा को अत्यंत महत्वपूर्ण तिथि माना गया है। शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि इस दिन चन्द्रमा से निकलने वाले अमृत को कोई भी साधारण व्यक्ति ग्रहण कर सकता है। चन्द्रमा से बरसने वाले अमृत को खीर माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपने शरीर में ग्रहण किया जा सकता है। इस दिन चांद की रोशनी में बैठने से, चांद की रोशनी में 4 घण्टे रखा भोजन खाने से और चन्द्रमा के दर्शन करने से व्यक्ति आरोग्यता प्राप्त करता है।
इन बातों का रखें ख्याल
- इस दिन पूर्ण रूप से जल और फल ग्रहण करके उपवास रखना चाहिए।
- यदि आपका उपवास नहीं है तो भी आप सात्विक भोजन ही ग्रहण करें। इससे शरीर शुद्ध रहेगा और आप ज्यादा बेहतर तरीके से अमृत प्राप्त कर पाएंगे।
- इस दिन खासतौर पर काले रंग का प्रयोग न करें। चमकदार सफेद रंग के वस्त्र धारण करें।
- शरद पूर्णिमा का पूर्ण शुभ फल पाने के लिए इन नियमों का पालन करना चाहिए।
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व्रत और पूजा विधि
- पूर्णिमा के दिन सुबह में ईष्ट देव का पूजन करना चाहिए।
- इन्द्र और महालक्ष्मी का पूजन कर घी का दीपक जलाकर उसकी गन्ध पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए।
- ब्राह्माणों को खीर का भोजन कराना चाहिए और उन्हें दान दक्षिणा प्रदान करनी चाहिए।
- लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इस व्रत को विशेष रुप से किया जाता है।
- इस दिन जागरण करने वालों की धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
- रात को चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करना चाहिए।
- इस दिन मंदिर में खीर आदि दान करने का भी विधान है।