पुत्र प्राप्ति की कामना पूरी करने रखा जाता है ये व्रत, जानें पूजा विधि
शनि प्रदोष पुत्र प्राप्ति की कामना पूरी करने रखा जाता है ये व्रत, जानें पूजा विधि
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हर माह शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष के रूप में देखा जाता है। इस दिन लोग व्रत करते हैं और यह व्रत दिन के हिसाब से अलग अलग नामों से पहचाना जाता है। जैसे सोमवार को व्रत होने पर सोम प्रदोष। फिलहाल, आज यानी कि 05 नवंबर 2022, शनिवार को शनिप्रदोष व्रत है। शनि प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। मान्यता है कि यह व्रत करने के शनि दोष भी दूर होते हैं।
कहा जाता है कि शनि त्रयोदशी शनि देव की जन्म तिथि है। इसलिए इस दिन शनि से संबंधित उपाय भी किए जाते हैं। पुराणों के अनुसार शनि प्रदोष व्रत करने से पुत्र प्राप्ति की कामना पूरी होती है। आइए जानते हैं शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि और महत्व।
पूजा विधि
- सुबह स्नान के बाद भगवान शिव, पार्वती और नंदी को पंचामृत और जल से स्नान कराएं।
- इसके बाद गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, अक्षत (चावल), फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं।
- शाम के समय जब सूर्यास्त होने वाला होता है उस समय सफेद वस्त्र धारण करके भगवान शिव की पूजा करें।
- विभिन्न फूलों, बेलपत्रों को चढ़ाकर शिवजी को प्रसन्न करें।
- शिवजी की पूजा के बाद आरती, भजन करें। इससे शिवजी भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं।
ये कार्य भी करें
- शनिवार होने की वजह से इस दिन व्रती को शनि महाराज के निमित्त पीपल में जल देना चाहिए।
- शनि स्तोत्र और चालीसा का पाठ करना भी इस दिन शुभ रहता है।
- इस दिन पीपल के पेड़ को छूकर 108 बार ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करने से शनि महाराज सभी कष्ट को दूर करते हैं।
- इस दिन उपवास रखमे और पीपल का एक पत्ता शिवलिंग पर चढ़ाना काफी कल्याणकारी माना जाता है, इससे आपको नौकरी और व्यवसाय में लाभ मिलता है।
- इस दिन काली चीजें जैसे जूता, सरसों, काली उड़द दाल आदि दान करना काफी शुभ माना जाता है।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।