शनि प्रदोष: जानें इस व्रत का महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त

शनि प्रदोष: जानें इस व्रत का महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त

Bhaskar Hindi
Update: 2021-05-08 04:29 GMT
शनि प्रदोष: जानें इस व्रत का महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रदोष व्रत भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा के लिए विशेष दिन होता है। प्रत्येक महीने में दो प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष) होते हैं। यह व्रत दिन के मुताबिक नामित होता है, जैसे शनिवार को पड़ने वालो प्रदोष व्रत शनि प्रदोष के नाम से जाना जाता है। वैशाख माह में आने वाला यह व्रत आज है। शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति के जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इस व्रत को करने से भगवान शिव की कृपा सदैव आप पर बनी रहती है। 

शनि प्रदोष व्रत के प्रभाव से शनि दोष से भी छुटकारा मिलता है। 8 मई को प्रदोष व्रत प्रति योग में रखा जाएगा जिसे शुभ योगों में गिना जाता है। इस समय मांगलिक कार्य करना अत्यंत शुभ होता है। शनि प्रदोष में दिन शिव और माता पार्वती के साथ शनिदेव की भी कृपा प्राप्त होती है।  

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शुभ मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि आरंभ: 08 मई 2021 शाम 05 बजकर 20 मिनट से 
त्रयोदशी तिथि समाप्त: 09 मई 2021 शाम 07 बजकर 30 मिनट तक
पूजा का समय: 08 मई शाम 07 बजकर से रात 09 बजकर 07 मिनट तक

शनि प्रदोष व्रत विधि 
शनि प्रदोष व्रत के दिन व्रती को प्रात:काल उठकर नित्य क्रम से निवृत हो स्नान कर शिव जी का पूजन करना चाहिए। पूरे दिन मन ही मन “ऊँ नम: शिवाय ” का जप करें। पूरे दिन निराहार रहें। शनि प्रदोष में विशेष रूप से भगवान को तिल का भोग अर्पित किया जाता है साथ ही दीन, दरिद्र, दुखी, गरीबों को भी भगवान का भोग एवं काला छाता या जूते का दान करते हैं। इससे राशि में चंद्र देव से होने वाले सभी दोषों से शनि की कृपा से मुक्ति मिलती है। इस व्रत के दिन दो बार सुबह और शाम के समय भगवान शिव का पूजन किया जाता है। संध्या की पूजा का बहुत महत्व है क्योंकि सूर्यास्त के पश्चात रात्रि के आने से पूर्व का समय प्रतिदिन का प्रदोष काल कहलाता है। शनिप्रदोष के दिन ये उपाय करने से शनि की कृपा बनी रहेगी। इसके साथ ही आपकी कुंडली में लगा साढ़े साती, ढैया, दशा, महादशा, अन्तर्दशा का प्रभाव कम हो जाता है।

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शनि स्तोत्र का पाठ
शनि प्रदोष के दिन शनि स्तोत्र का पाठ करने से शनि के अशुभ प्रभाव के कारण जीवन में आ रहे कष्टों में कमी आती है। व्रत करने वाले जातक को इस दिन कम से कम 11 बार यह पाठ अवश्य करना चाहिए। शनि प्रदोष के दिन शनि यंत्र की प्रतिष्ठा कर यंत्र के उसके सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं तथा नीले या काले रंग का कोई फूल चढ़ाएं। साथ ही यंत्र के सामने बैठकर शनि के इस मंत्र का जाप करें। "ऊं शं शनैश्चराय नम:" ये उपाय करने से सभी प्रकार के रोगों से, कर्ज, मुकदमे, धन सम्बन्धी आदि समस्याओं से राहत मिलती है। नौकरी करने वाले लोगों की प्रगति के लिए भी यह उपाय बहुत ही कारगर है।

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