शनि प्रदोष व्रतः जानें इसका महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त
शनि प्रदोष व्रतः जानें इसका महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। हर माह दो प्रदोष व्रत पड़ते हैं। एक शुक्ल पक्ष में और दूसरा कृष्ण पक्ष में। इस व्रत का नाम प्रदोष व्रत का नाम और फल वार के अनुसार होता है। शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आने वाले शनिवार को शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस बार शनि प्रदोष व्रत 24 अप्रैल, शनिवार, यानी कि आज है।
शनि प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। मान्यता है कि यह व्रत करने के शनि दोष भी दूर होते हैं। पुराणों के अनुसार शनि प्रदोष व्रत करने से पुत्र प्राप्ति की कामना पूरी होती है। आइए जानते हैं इस व्रत का महत्व, मुहूर्त और पूजा की विधि...
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शुभ मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि आरंभः 24 अप्रैल 2021, शनिवार, शाम 7 बजकर 17 मिनट से
त्रयोदशी तिथि समापनः 25 अप्रैल 2021, रविवार, शाम 04 बजकर 12 मिनट पर
पूजा का समयः 24 अप्रैल, शनिवार, शाम 07 बजकर 17 मिनट से रात 09 बजकर 03 मिनट तक
पूजा विधि
- शनि प्रदोष व्रत बिना जल ग्रहण किए किया जाता है।
- सुबह स्नान के बाद भगवान शिव, पार्वती और नंदी को पंचामृत और जल से स्नान कराएं।
- फिर गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, अक्षत, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, भोग, फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं।
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- फिर शाम के समय जब सूर्यास्त होने वाला होता है उस समय सफेद वस्त्र धारण करके भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।
- विभिन्न फूलों, बेलपत्रों से शिव को प्रसन्न करना चाहिए।
- शिवजी की पूजा के बाद आरती, भजन करें। इससे शिवजी भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं
- शनिवार होने की वजह से इस दिन व्रती को शनि महाराज के निमित्त पीपल में जल देना चाहिए।
- शनि स्तोत्र और चालीसा का पाठ करना भी इस दिन शुभ रहता है।