सफला एकादशी: शुभ और सर्वश्रेष्ठ तिथि पर इस विधि से करें पूजा, जानें शुभ मुहूर्त
सफला एकादशी: शुभ और सर्वश्रेष्ठ तिथि पर इस विधि से करें पूजा, जानें शुभ मुहूर्त
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है, वहीं नए साल की पहली एकादशी शनिवार 09 जनवरी को पड़ रही है। पौष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों में इस एकादशी की तिथि को बेहद शुभ और सर्वश्रेष्ठ तिथि माना गया है। इस व्रत को करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस एकादशी के दिन व्रत करने से साल की सभी एकादशी के तप का फल मिलता है।
सफला एकादशी के दिन भगवान विष्णु के पूजन की जाती है। पूजा के बाद ब्रह्माणों को दान देना की भी मान्यता है। इस दिन कई लोग पूरी रात जागरण करते हैं। माना जाता है कि इस दिन व्रत करने वालों को सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। एकादशी का व्रत कई पीढ़ियों का पाप दूर होता है। आइए जानते हैं इस एकादशी व्रत से जुड़ी खास बातें...
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पूजा का मुहूर्त
तिथि का आरंभः 08 जनवरी, रात 09 बजकर 40 मिनट से
तिथि समाप्तः 09 जनवरी, रात 07 बजकर 15 मिनट तक
पारण का समयः 10 जनवरी, सुबह 07 बजकर 15 मिनट से 09 बजकर 21 मिनट तक
महत्व
ब्रह्मांडा पुराण में धर्मराज युधिष्ठिर और भगवान कृष्ण के बीच बातचीत के रूप में वर्णित है। हिंदू ग्रंथों के मुताबिक यह कहा जाता है कि 100 राजसूया यज्ञ और 1000 अश्वमेधि यज्ञ मिल कर भी इतना लाभ नहीं दे सकते जितना सफला एकदशी का व्रत रख कर मिल सकता हैं। सफला एकदशी का दिन एक ऐसे दिन के रूप में वर्णित है जिस दिन व्रत रखने से दुख दूर हो जाते है और भाग्य खुल जाता है। सफला एकदशी का व्रत रखने से व्यक्ति की सारी इच्छाएं पूरी होती हैं।
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ऐसे करें व्रत
सफला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने के बाद भगवान विष्णु के सामने व्रत का संकल्प करना चाहिए। संकल्प के बाद धूपए दीपए फल आदि से भगवान विष्णु पूजन करना चाहिए। रात में भी विष्णु के नाम का पाठ करते हुए जागरण करना चाहिए। द्वादशी तिथि के दिन स्नान करने के बाद ब्राह्मणों को अन्न और दक्षिणा देकर इस व्रत का पारण करना चाहिए।
पूजा विधि
- प्रातः काल या सायं काल श्री हरि का पूजन करे
- मस्तक पर सफेद चन्दन या गोपी चन्दन लगाकर श्री हरि का पूजन करें
- श्री हरि को पंचामृतए पुष्प और ऋतु फल अर्पित करें
- चाहें तो एक वेला उपवास रखकरए एक वेला पूर्ण सात्विक आहार ग्रहण करें
- शाम को आहार ग्रहण करने के पहले जल में दीपदान करें