इस साल की आखिरी चतुर्थी पर ऐसे करें पूजा, जानें मुहूर्त और विधि
संकष्टी चतुर्थी इस साल की आखिरी चतुर्थी पर ऐसे करें पूजा, जानें मुहूर्त और विधि
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इनमें संकष्टी चतुर्थी को सभी कष्टों का हरण करने वाला माना जाता है। साल के आखिरी माह की आखिरी चतुर्थी 22 दिसंबर को है। यह पौष माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाई जा रही है। संकष्टी चतुर्थी भगवान श्री गणेश जी को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और भगवान गणेश की आराधना करने से सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
इस दिन श्रद्धालू इस व्रत को करने के साथ ही भगवान श्री गणेश की पूजा आराधना करते हैं। इस दिन चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी व्रत की तिथि, पूजा मुहूर्त और महत्व..
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शुभ मुहूर्त
तिथि आरंभ: 22 दिसंबर, बुधवार शाम 04:52 बजे से
तिथि समापन: 23 दिसंबर, गुरुवार को शाम 06:27 बजे होगा
व्रत: संकष्टी चतुर्थी में चंद्रोदय 22 दिसंबर को होगा, इसलिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत 22 दिसंबर को रखा जाएगा।
पूजन विधि
- सबसे पहले सुबह स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहनें। पूजा के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा को ईशानकोण में चौकी पर स्थापित करें। - चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा पहले बिछा लें।
- भगवान के सामने हाथ जोड़कर पूजा और व्रत का संकल्प लें और फिर उन्हें जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें।
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- अक्षत और फूल लेकर गणपति से अपनी मनोकामना कहें, उसके बाद ओम ‘गं गणपतये नम:’ मंत्र बोलते हुए गणेश जी को प्रणाम करें।
- इसके बाद एक थाली या केले का पत्ता लें, इस पर आपको एक रोली से त्रिकोण बनाना है।
- त्रिकोण के अग्र भाग पर एक घी का दीपक रखें। इसी के साथ बीच में मसूर की दाल व सात लाल साबुत मिर्च को रखें।
- पूजन के बाद चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें. पूजन के बाद लड्डू प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।