व्रत: आज है संकष्टी चतुर्थी, जानें व्रत और पूजन विधि
व्रत: आज है संकष्टी चतुर्थी, जानें व्रत और पूजन विधि
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रथम पूज्य श्री गणेश की पूजा से सभी कार्य निर्विघ्न संपन्न होते हैं। भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। जो कि प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को आता है। इस बार संकष्टी चतुर्थी व्रत आज (5 अक्टूबर, सोमवार) है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के व्रत को बहुत शुभ माना जाता है। इस बार अधिक मास लगने की वजह से इस व्रत का महत्व और भी अधिक माना जा रहा है।
संकष्टी चतुर्थी के व्रत को भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और भगवान गणेश की आराधना करने से सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं इसका पूजा का मुहूर्त और विधि...
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शुभ मुहूर्त
सुबह 9 बजकर 32 मिनट से सुबह 11 बजकर 20 मिनट तक
चंद्रमा को अर्घ्य देने का समय: रात 8 बजकर 12 मिनट
तिथि आरंभ: सोमवार- सुबह 10 बजकर 2 मिनट से
तिथि समाप्त: मंगलवार- दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक
व्रत विधि:
इस दिन व्रत रखा जाता है और और चंद्र दर्शन के बाद उपवास तोड़ा जाता है। व्रत रखने वाले जातक फलों का सेवन कर सकते हैं। साबूदाना की खिचड़ी, मूंगफली और आलू भी खा सकते हैं। मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी संकटों को खत्म करने वाली चतुर्थी है।
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पूजन विधि
- सबसे पहले सुबह स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहनें। पूजा के लिए - भगवान गणेश की प्रतिमा को ईशानकोण में चौकी पर स्थापित करें। चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा पहले बिछा लें।
- भगवान के सामने हाथ जोड़कर पूजा और व्रत का संकल्प लें और फिर उन्हें जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें।
- अब अक्षत और फूल लेकर गणपति से अपनी मनोकामना कहें, उसके बाद ओम ‘गं गणपतये नम:’ मंत्र बोलते हुए गणेश जी को प्रणाम करें।
- इसके बाद एक थाली या केले का पत्ता लें, इस पर आपको एक रोली से त्रिकोण बनाना है।
- त्रिकोण के अग्र भाग पर एक घी का दीपक रखें. इसी के साथ बीच में मसूर की दाल व सात लाल साबुत मिर्च को रखें।
- पूजन उपरांत चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें. पूजन के बाद लड्डू प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।