15 जनवरी को शाही स्नान में शामिल होगा किन्नर अखाड़ा, एग्रीमेंट पर हुए साइन

15 जनवरी को शाही स्नान में शामिल होगा किन्नर अखाड़ा, एग्रीमेंट पर हुए साइन

Bhaskar Hindi
Update: 2019-01-13 07:10 GMT
15 जनवरी को शाही स्नान में शामिल होगा किन्नर अखाड़ा, एग्रीमेंट पर हुए साइन

डिजिटल डेस्क, इलाहाबाद। प्रयागराज में लगने वाले कुंभ मेला क्षेत्र में पहली बार किन्नर अखाड़ा जूना अखाड़े का हिस्सा बनने जा रहा है। यमुना बैंक रोड स्थित जूना अखाड़े के मौज गिरि मंदिर में शनिवार देर रात तक चली बातचीत के बाद एग्रीमेंट पर साइन हुए। इससे पहले यहां विधि विधान से पूजा हुई और दोनों अखाड़े के प्रमुखों ने एक मंच पर आने की सहमति दी। इस सहमति के बाद कागजी कार्रवाई हुई, जिसके बाद तय हुआ कि किन्नर अखाड़ा, जूना अखाड़े का हिस्सा बना रहेगा। 

अनुबंध पत्र पर हस्ताक्षर
इस अनुबंध पत्र पर जूना अखाड़े के मुख्य संरक्षक महंत हरि गिरि ने हस्ताक्षर किए। वहीं किन्नर अखाड़ा की ओर से आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी सहित 20 संन्यासियों ने हस्ताक्षर किए। हालांकि किन्नर अखाड़ा प्रमुख लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि इसे अखाड़े में विलय नहीं माना जाएगा। उन्होंने कहा कि जूना और किन्नर अखाड़ा एक हुए हैं, लेकिन हमारे अखाड़े ने जो आचार्य महामंडलेश्वर, महामंडलेश्वर, महंत, श्रीमहंत पद अपने पदाधिकारियों को दिए हैं वो बने रहेंगे। इसके अलावा उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किन्नर अखाड़ा जूना अखाड़े के सारे नियम और कायदों को मानेगा। 

किन्नर संन्यासियों को सम्मान 
महंत हरि गिरि ने कहा कि वह किन्नर संन्यासियों को पूरा सम्मान दिलाएंगे। वह शाही स्नान करेंगे तो उसे भी कराएंगे। उन्होंने अखाड़ा परिषद द्वारा उनका विरोध होने के सवाल पर कहा कि उन्होंने आदिशंकराचार्य के दिखाए मार्ग पर चलते हुए धर्महित में काम किया है। जरूरत पड़ी तो सारे पद त्याग दूंगा, लेकिन किन्नरों के साथ अन्याय नहीं होने दूंगा। वहीं महंत नरेंद्र गिरि ने यह भी कहा कि वह दूसरे किन्नरों को भी सनातन धर्म से जोड़ने की मुहिम चलाएंगी। अखाड़ा परिषद को कोई एतराज नहीं है लेकिन, उन्हें 14वें अखाड़े की मान्यता नहीं मिलेगी। 

14 अखाड़े होंगे शामिल
आपको बता दें इस साल से कुंभ मेले में 14 अखाड़े शामिल होंगे जिनमें किन्नर अखाड़ा भी शामिल हो गया है। 15 जनवरी को शाही स्नान में दोनों अखाड़े मौजूद रहेंगे। किन्नर अखाड़े के सदस्य अपनी परंपरा के अनुसार ही स्नान करेंगे। शाही स्नान में आवाहन, अग्नि के बाद किन्नर अखाड़े के संन्यासी चलेंगे, लेकिन किन्नर अखाड़े को अलग पेशवाई निकालने की अनुमति होगी। इस पेशवाई में जूना एवं अन्य अखाड़ों के महात्मा भी शामिल होंगे।  

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