रवि प्रदोष में इस मुहूर्त में करें पूजा, जानें इसका महत्व

व्रत रवि प्रदोष में इस मुहूर्त में करें पूजा, जानें इसका महत्व

Bhaskar Hindi
Update: 2022-02-12 13:10 GMT
रवि प्रदोष में इस मुहूर्त में करें पूजा, जानें इसका महत्व

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत का काफी महत्व है। वहीं दिन के हिसाब से आने वाले प्रदोष को अलग अलग नामों से जाना जाता है। यह व्रत हर माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है। फिलहाल रविवार, 13 फरवरी को प्रदोष व्रत पड़ रहा है। इसे रवि प्रदोषव्रत कहा जाता है। हिन्दू धर्म के मुताबिक यह प्रदोष व्रत कलियुग में भगवान शिव की कृपा प्रदान करने वाला और अत्यधिक मंगलकारी माना गया है। रवि प्रदोष व्रत से कोई भी भक्त अपने मन की इच्छा को बहुत जल्द पूरा कर सकता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो जातक सच्चे मन से प्रदोष व्रत करते हुए महादेव की पूजा.अर्चना करते हैं भोलेशंकर उस भक्त की मनोकामनाएं पूरी करते हैं और उस पर कृपा करते हैं।

फरवरी 2022: इस माह में आने वाले हैं मुख्य त्यौहार और तिथियां, यहां पढ़ें पूरी लिस्ट

पूजा मुहूर्त
तिथि आरंभ: 13 फरवरी शाम 06 बजकर 42 मिनट से
तिथि समापन: 14 फरवरी रात 08 बजकर 28 मिनट तक

 कलाशांति ज्योतिष साप्ताहिक राशिफल 07 फरवरी से 13 फरवरी 2022 तक

प्रदोष व्रत की विधि
- प्रदोष व्रत करने के लिए मनुष्य को त्रयोदशी के दिन प्रातरू सूर्य उदय से पूर्व उठना चाहिए।
- नित्यकर्मों से निवृत्त होकरए भगवान श्री भोलेनाथ का स्मरण करें। 
- पूरे दिन उपावस रखने के बाद सूर्यास्त से एक घंटा पहलेए स्नान आदि कर श्वेत वस्त्र धारण किए जाते हैं। 
- पूजा स्थल को गंगाजल या स्वच्छ जल से शुद्ध करने के बादए गाय के गोबर से लीपकरए मंडप तैयार किया जाता है।  
- अब इस मंडप में पांच रंगों का उपयोग करते हुए रंगोली बनाई जाती है। 
- प्रदोष व्रत कि आराधना करने के लिए कुशा के आसन का प्रयोग किया जाता है।

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