साल की पहली पूर्णिमा की रात ऐसे करें पूजा

पौष पूर्णिमा 2022 साल की पहली पूर्णिमा की रात ऐसे करें पूजा

Bhaskar Hindi
Update: 2022-01-17 13:59 GMT
साल की पहली पूर्णिमा की रात ऐसे करें पूजा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्‍दू धर्म में सभी पौष पूर्णिमा का विशेष महत्‍व है। साल 2022 की पहली पूर्णिमा आज यानी कि 17 जनवरी सोमवार को है। ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि, पौष महीने में सूर्यदेव ग्यारह हजार रश्मियों के साथ तप कर सहित शीतऋतु से सुकून देते है। इसलिए पौष माह में सूर्य देव की विशेष पूजा और उपासना की जाती है जिससे मनुष्य जीवन मरण के चक्कर से मुक्त होता है। 

मान्‍यता है कि पौष पूर्णिमा के दिन व्रत करने और पवित्र नदियों में स्‍नान करने से मोक्ष की प्राप्‍ति होती है। इस दिन सूर्य देव और भगवान श्रीकृष्‍ण की पूजा का विधान है। माना जाता है इस दिन गंगा स्नान करने से तन मन और आत्मा तीनों ही पापमुक्त हो जाते हैं। हालांकि आप घर पर रहकर भी इस पुण्यलाभ को ले सकते हैं।

पूजा विधि
- पौष पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर स्‍नान करने के बाद व्रत का संकल्‍प लें।
- इस दिन पवित्र नदी में स्‍नान का विशेष महत्‍व है। यदि किसी तीर्थ स्‍थान पर जाकर स्‍नान करना संभव न हो तो नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्‍नान करना चाहिए।
- स्‍नान के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्‍य दें।
- अब घर के मंदिर में भगवान श्रीकृष्‍ण की मूर्ति, तस्‍वीर या कैलेंडर के आगे दीपक जलाएं।
- श्रीकृष्‍ण को नैवेद्य और फल अर्पित करें। 
- इसके बाद विधिवत आरती उतारें।
- रात के समय भगवान सत्‍यनारायण की कथा पढ़ें, सुनें या सुनाएं।
- कथा के बाद भगवान की आरती उतारें और चंद्रमा की पूजा करें।
- पौष पूर्णिमा के दिन दान करना अच्‍छा माना जाता है। यथासामर्थ्‍य किसी जरूरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर दान दक्षिणा दें।

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