मिथुन संक्रांति: जानें कब मनाया जाएगा ये पर्व और क्या है इसका महत्व

मिथुन संक्रांति: जानें कब मनाया जाएगा ये पर्व और क्या है इसका महत्व

Bhaskar Hindi
Update: 2020-06-10 10:26 GMT
मिथुन संक्रांति: जानें कब मनाया जाएगा ये पर्व और क्या है इसका महत्व

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। संक्रांति के बारे में सभी जानते हैं, लेकिन अधिकांश लोग जनवरी माह में आने वाली मकर संक्रांति को विशेष रूप से मनाते हैं। जबकि कम ही लोग जानते हैं कि साल भर में 12 संक्रांतियां आती है, जिसमें दान, पून्य आदि कार्यों के लिए शुभ माना जाता है। इनमें मिथुन संक्रांति का अपना महत्व है और यह हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले धार्मिक पर्वों में से एक है। इस वर्ष मिथुन संक्रांति 14 जून 2020 को मनाई जाएगी। उड़ीसा में इस पर्व को विशेष रूप से 4 दिनों तक मनाते हैं। इस पर्व को अच्छी खेती और बारिश की मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए मनाते हैं। 

ऐसा माना जाता है कि सूर्य हर राशि में 1 महीने तक विराजमान रहते हैं। और सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करने को सूर्य संक्रांति कहा जाता है। इस दिन दान दक्षिणा और पूजा-पाठ करना काफी फलदायी बताया गया है। मिथुन संक्रांति का के बाद वर्षा ऋतु लग जाती है, कुछ लोग इसे रज संक्रांती भी कहते हैं। इस दिन भगवान सूर्य (Lord Sun) की पूजा की जाती है।

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मकर संक्रांति तिथि
तिथि प्रारंभ: रविवार रात 11.00 बजकर 53 मिनट पर 
तिथि समापन: सोमवार सुबह 6 बजकर 17 मिनट तक 

मिथुन संक्रांति की पूजा विधि 

1. इस दिन व्रती सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नानादि से निवृत्त होकर साफ कपड़ें पहनें। 
2. सूर्य को जल चढ़ाएं और आराधना करें। 
3. मिथुन संक्रांति के दिन पूर्वजों को श्रद्धांजलि दी जाती है।

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4. मिथुन संक्रांति के दिन सिलबट्टे को भूदेवी के रूप में पूजा जाता है। सिलबट्टे को इस दिन दूध और पानी से स्नान कराया जाता है।
5. इसके बाद सिलबट्टे पर चंदन, सिंदूर, फूल व हल्‍दी चढ़ाते हैं।
6. मिथुन संक्रांति के दिन गुड़, नारियल, चावल के आटे व घी से बनी मिठाई पोड़ा-पीठा बनाया जाता है।
7. इस दिन किसी भी रूप में चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। 

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