मासिक शिवरात्रि: शिव लिंग पर पुष्प चढ़ाने से मिलेगा ये लाभ, जानें पूजा की विधि

मासिक शिवरात्रि: शिव लिंग पर पुष्प चढ़ाने से मिलेगा ये लाभ, जानें पूजा की विधि

Bhaskar Hindi
Update: 2021-06-07 04:55 GMT
मासिक शिवरात्रि: शिव लिंग पर पुष्प चढ़ाने से मिलेगा ये लाभ, जानें पूजा की विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में व्रतों का काफी महत्व है और हर माह में कई सारे व्रत आते हैं, जिनमें कुछ विशेष होते हैं। इनमें से एक है मासिक शिवरात्रि, भविष्यपुराण के अनुसार प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का दिन माना जाता है। ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को यह व्रत पड़ रहा है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह व्रत 8 जून मंगलवार को है। धर्मग्रंथों के अनुसार फाल्गुन माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ और माता पार्वती जी का विवाह हुआ था। 

मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं। शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी, सरस्वती, इंद्राणी, गायत्री, सावित्री, पार्वती और रति ने शिवरात्रि का व्रत किया था और शिव कृपा से अनंत फल प्राप्त किए थे। इस दिन शिव लिंग पर पुष्प चढ़ाने तथा शिव के मंत्रों के जप का विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं इस व्रत से होने वाले लाभ और पूजा की विधि व मुहूर्त...

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मुहूर्त
तिथि आरंभ: 08 जून मंगलवार सुबह 11 बजकर 25 मिनट से
तिथि समापन: 09 जून बुधवार दोपहर 01 बजकर 59 मिनट तक

व्रत से होने वाले लाभ
ज्योतिषविद के अनुसार, शिव चतुर्दशी का व्रत जो भी व्यक्ति पूरे श्रद्धाभाव से करता है उसके माता-पिता के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही स्वयं के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं तथा वह जीवन के सम्पूर्ण सुखों का भोग करता है। इस व्रत की महिमा से व्यक्ति दीर्घायु, ऐश्वर्य, आरोग्य, संतान एवं विद्या आदि प्राप्त कर अंत में शिवलोक जाता है।

शिव चतुर्दशी व्रत विधि 
- सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर नित्यक्रमादि से निवृत्त होकर स्नान करें।
- सूर्यदेव को जल दें और व्रत का संकल्प लें।
- इस दिन भगवान शिव की पूजा में सबसे पहले शिवलिंग का अभिषेक करें। 
- शिवलिंग का अभिषेक जल, दूध, दही, शुद्ध घी, शहद, शक्कर या चीनी, गंगाजल तथा गन्ने के रसे आदि से करें।
- अभिषेक के दौरान ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।

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- अभिषेक करने के बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, समीपत्र, कुशा तथा दुर्बा आदि चढ़ाएं। 
- पूजा के दौरान गाय के घी का दीपक जलाएं।
- पूजा के अंत में शिव जी को भोग के रुप में गांजा, भांग, धतूरा तथा श्री फल (नारियल) समर्पित करें।

रात्रि के समय शिव मंत्रों का करें
“ॐ नम: शिवाय” या”  शिवाय नम:”
या
"ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ॐ"

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