आज भी होती है पूजा, ये है मंदोदरी का मंदसौर कनेक्शन
आज भी होती है पूजा, ये है मंदोदरी का मंदसौर कनेक्शन
टीम डिजिटल, भोपाल/मंदसौर. रावण की पत्नी मंदोदरी, जिसका महर्षि बाल्मिकी और तुलसीदास कृत रामायण में महत्वपूर्ण उल्लेख मिलता है. विभिन्न पुराणों में भी मंदोदरी के सौंदर्य और पतिव्रत धर्म का महिमामंडन किया गया है. असत्य पर सत्य की विजय के उपलक्ष्य में रावण का वध पुरातन परंपरा है, लेकिन एक ऐसा भी स्थान है जहां रावण का वध नहीं, बल्कि पूजा की जाती है. इसका मुख्य कारण मंदोदरी है और ये स्थान है मध्यप्रदेश का मंदसौर जिला. आइए यहां जानते हैं मंदोदरी का मंदसौर कनेक्शन...
मंदोदरी का मायका
मंदसौर का प्राचीन नाम दशपुर है. कहते हैं त्रेतायुग में लंका के राजा रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका मंदसौर था. जिसकी वजह से यहां रावण को दामाद माना जाता है मंदसौर के खानपुरा क्षेत्र में रावण की लगभग 20 फीट ऊंची प्रतिमा है. मान्यता है कि इस प्रतिमा के पैर में धागा बांधने से बीमारी नहीं होती. यही कारण है कि अन्य अवसरों के अलावा महिलाएं दशहरे के मौके पर रावण की प्रतिमा के पैर में धागा बांधती हैं.
घूंघट डालती हैं महिलाएं
मंदोदरी के नाम पर ही इस स्थान का नाम मंदसौर पड़ा. स्थानीय लोग बताते हैं कि रावण मंदसौर का दामाद है इसलिए महिलाएं जब प्रतिमा के सामने पहुंचती हैं तो घूंघट डाल लेती हैं. क्योंकि दामाद के सामने कोई महिला सिर खोलकर नहीं निकलती है.
अभिलेखों, साहित्य में उल्लेख
यही वही स्थान है जहां से रावण मंदोदरी को अपनी पत्नी बनाकर ले गया था. इस बात की जानकारी कई अभिलेखोंऔर साहित्य में भी मिलती है. इतिहासकार भी इसकी पुष्टि करते हैं. इसलिए नामदेव समाज सहित यहां के निवासी रावण को दामाद की तरह पूजते हैं और दशहरे पर रावण की विशेष पूजा होती है. इस दौरान पूरे शहर में रावण के साथ दशहरे का जुलूस निकाला जाता है, लेकिन उसका दहन नहीं किया जाता. लोक मान्यता है कि लंकापति रावण और मंदोदरी का विवाह जोधपुर के मंडोर में हुआ था. यहां के लोग मानते हैं कि मंडोर रेलवे स्टेशन के पास की पहाड़ी पर वापिका के पास जो गणेश और अष्ठ मातृकाओं का फलक है वह रावण की चंवरी (जहाँ रावण ने मंदोदरी के साथ फेरे लिए) है. आजादी के पहले यह ग्वालियर रियासत का हिस्सा रहा मंदसौर का क्षेत्रफल 5530 वर्ग किलोमीटर है.