चंद्र ग्रहण: ग्रहण काल के दौरान भूलकर भी न करें ये काम, वरना होगा नुकसान

चंद्र ग्रहण: ग्रहण काल के दौरान भूलकर भी न करें ये काम, वरना होगा नुकसान

Bhaskar Hindi
Update: 2020-01-07 04:44 GMT
चंद्र ग्रहण: ग्रहण काल के दौरान भूलकर भी न करें ये काम, वरना होगा नुकसान

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में ग्रहण का काफी महत्व होता है, बात चाहे चंद्र ग्रहण की हो या सूर्य ग्रहण की। इस दौरान हिन्दू मान्यताओं में कई सारे काम करने की मना ही होती है। आपको बता दें कि इस साल का पहला चंद्र ग्रहण 10 जनवरी को लगने वाला है। ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि ग्रहण के दौरान कौन कौन से कार्य नहीं किए जाने चाहिए, आइए जानते हैं...

नहीं करना चाहिए भोजन  
माना जाता है कि ग्रहण काल में कीटाणु, जीवाणु अधिक मात्रा में फैलते हैं खाने पीने के पदार्था में वे फैलते हैं इसलिए भोजन नहीं करना चाहिए, पका हुआ नहीं खाना चाहिए। कच्चे पदार्थों कुशा छोड़ने से जल में कुशा छोड़ने से जीवाणु कुशा में एकत्रित हो जाते हैं पात्रो में अग्नि डालकर स्नान करने से शरीर में उष्मा का प्रभाव बढ़े और भीतर बाहर के किटाणु नष्ट हो जाते हैं। एक अनुसंधान के अनुसार ग्रहण के समय मनुष्य के पेट की पाचन शक्ति कमजोर होती हैं जिससे शारिरिक मानसिक हानि पहुंचती हैं।

ग्रहण काल में क्या करें ?
ग्रहण के वेध काल में तथा ग्रहण काल में भी भोजन नहीं करना चाहिए। देवी भागवत के अनुसार सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण के समय जो मनुष्य जितने अन्न के दाने खाते हैं उतने वर्षा तक अरूतुंद नरक में वास करता हैं और उदर रोगी, गुल्मरोगी, काना तथा दंतहीन होता हैं।  

ग्रहण काल में क्या ना करें ?
कोई भी शुभ काम या नया कार्य नहीं करना चाहिए। ग्रहण समय में सोने से रोगी, लघुशंका से दरिद्र, स्त्री प्रसंग से सुअर तथा उबटन लगाने से कोढ़ी होता है। ग्रहण काल में तेल लगाना, भोजन करना, जल पीना, मल मूत्र त्यागना, बाल काटना, मंजन करना, रति क्रिया करना मना है। पत्ते, तिनके, फूल, लकड़ी नहीं तोड़ना चाहिए। 

गर्भवती स्त्रियां ध्यान रखें ये बातें
गर्भवती स्त्रीयां के गर्भ के लिए ग्रहण हानिकारक होता है। शास्त्रों में गर्भवती स्त्रियों के लिए कुछ नियम बताए गए हैं। जिनका ध्यान रखना चाहिए। 

1- गर्भवती स्त्रियों को कोई भी ग्रहण चाहे वह सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण हो, नहीं देखना चाहिए 
2- गर्भवती स्त्रियों को संपूर्ण ग्रहण काल में सोना नहीं चाहिए।
3- ग्रहण के समय गर्भवती स्त्रियों को किसी भी प्रकार की नुकीली वस्तु, धारदार वस्तु जैसे चाकू, छूरी आदि को स्पर्श न करें 
4- गर्भवती स्त्रियों को ग्रहण काल में सुखासन में बैठना चाहिए और अपनी गोद में नारियल लेकर भगवान कृष्ण का नाम स्मरण करना चाहिए।  श्रीकृष्ण शरणम् मम् इस मंत्र का जप कर सकते हैं या संतान गोपाल मंत्र ‘‘ओम देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगतपते , देहि में तनयं कृश्ण त्वामहं षरणं गतः ’’ या अन्य भी जप, ध्यान आदि करना चाहिए तथा ग्रहण मोक्ष होने पर गोद के नारियल को नदी या कुंए में प्रवाहित करें। 

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