पुरी में धूमधाम से निकाली गई भगवान श्री जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा, गूंजे जयकारे

पुरी में धूमधाम से निकाली गई भगवान श्री जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा, गूंजे जयकारे

Bhaskar Hindi
Update: 2019-07-04 05:43 GMT

डिजिटल डेस्क। उड़ीसा की तीर्थ नगरी पुरी में भगवान भगवान श्री जगन्नाथए बलभद्र और देवी सुभद्रा की रथ यात्रा का शुभारंभ गुरुवार को हुआ। आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि को कर्क राशि में आने वाले पुष्य नक्षत्र में यह यात्रा शुरु हुई। इसी के साथ भगवान जगन्‍नाथ अपने बड़े भाई बलराम और छोटी बहन सुभद्रा के साथ मौसी के घर गुंडीचा मंदिर के लिए रवाना हो गए। रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ के जयकारों की गूंज से पूरा माहौल भक्तिमय नजर आया। उड़ीसा के मुख्‍यमंत्री नवीन पटनायक ने अपने राज्‍य के सभी लोगों को इस मौके पर शुभकामनाएं दीं।

कड़ी सुरक्षा
माना जाता है कि जगन्नाथ रथयात्रा में रथ को खींचने से जीवात्मा को मुक्ति मिल सकती है। बता दें कि यहां देश दुनिया के लाखों श्रद्धालु रथयात्रा में हिस्सा लेने के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में यहां सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम किए गए। यहां हर गतिविधि पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरों और ड्रोन कैमरों की मदद ली गई।

इसके अलावा सुरक्षा के मद्देनजर 155 पुलिस बल के प्लाटूनए दो अतिरिक्त डीजीए पांच आईजी स्तर के अधिकारीए अलग अलग रैंक के 800 अधिकारी को तैनात किया गया है। इसके अलावा होमगार्डए रैपिड एक्शन फोर्सए एनडीआरएफए बॉम्ब डिस्पोजल स्कावडए स्निफर डॉग की यूनिट के साथ साथ एंटी टेररिस्ट स्कावड भी सुरक्षा में शामिल रहे। 

मौसी के घर रवाना
भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर तीन किलोमीटर दूर गुंडिचा देवी का मंदिर है। तीनों को गुंडिचा मंदिर तीन बड़े भव्य रथों में ले जाया जाता है, जिसे श्रद्धालु खींचते हैं। नौ दिन के धार्मिक उत्सव की शुरुआत शनिवार को पुरी में हरि बोला और करताल की ध्वनियों के साथ धूमधाम से होती है।

इतनी होती है रथ की ऊंचाई
हर साल आषाढ़ मास के शुक्‍ल पक्ष की द्वितीया को देश और दुनिया में विख्यात इस भव्य रथयात्रा का आयोजन किया जाता है और यह आयोजन शुक्ल पक्ष के 11वें दिन भगवान के घर लौटने तक चलता रहता है। बसंत पंचमी के दिन से ही भगवान के रथ बनाने का कार्य शुरू हो जाता है। ये रथ नीम के पेड़ की लकड़ी से बनाए जाते हैं। इसमें 832 लकड़ी के टुकड़ों का प्रयोग किया जाता है। जगन्नाथ जी का रथ 16 मीटर, बलराम जी का 14 मीटर और सुभद्रा जी का रथ 13 मीटर ऊंचा तैयार किया जाता है।

 
 

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