पीएम मोदी ने किए बाबा कालभैरव के दर्शन, जानिए इन्हें क्यों कहा जाता है काशी का कोतवाल

पीएम मोदी ने किए बाबा कालभैरव के दर्शन, जानिए इन्हें क्यों कहा जाता है काशी का कोतवाल

Bhaskar Hindi
Update: 2019-04-26 10:10 GMT
पीएम मोदी ने किए बाबा कालभैरव के दर्शन, जानिए इन्हें क्यों कहा जाता है काशी का कोतवाल

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वाराणसी सीट से नामांकन भरने से पहले काशी के कोतवाल बाबा कालभैरव के दर्शन किए। स्थानीय लोगों के अनुसार काशी विश्वनाथ के बाद यदि कोई काल भैरव का दर्शन नहीं करता है तो उसकी पूजा अधूरी रहती है। वहीं मान्यता यह भी है कि इस मंदिर में दर्शन करने आया भक्त कभी खाली हाथ नहीं लौटता। उनके मुताबिक, काल भैरव के दर्शन मात्र से शनि की साढ़े साती, अढ़ैया और शनि दंड से बचा जा सकता है। आपको बता दें कि भगवान शिव के रुद्र अवतार कहे जाने वाले बाबा कालभैरव का काशी से बहुत गहरा नाता है। 

मान्यता है कि, काशी में इन्हें स्वयं भगवान शिव ने नियुक्त किया था। इनके कई रूप हैं। जो बनारस में कई जगह स्थापित हैं। इनके अलग अलग नाम हैं। कालभैरव, आसभैरव, बटुक भैरव, आदि भैरव, भूत भैरव, लाट भैरव, संहार भैरव, क्षत्रपाल भैरव। 

आशीर्वाद, तो दंड भी देते हैं बाबा
खास बात यह कि भौरो नाथ के लिए प्रसाद सोचना नहीं होता ये ऐसे देवता हैं जिन्हें टाॅफी और बिस्किट से लेकर मिठाई या दारू, गांजा भांग सब पसंद है। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार बाबा विश्वनाथ काशी के राजा हैं और काल भैरव इस नगरी के कोतवाल हैं, जो लोगों को आशीर्वाद भी देते हैं और सजा भी। यमराज को भी यहां के इंसानों को दंड देने का अधिकार नहीं है। बाबा कालभैरव को क्यों कहा जाता है काशी का कोतवाल और क्या है इसके पीछे मान्यता? आइए जानते हैं...

कोतवाल कहे जाने के पीछे ये है कथा
कथा के अनुसार एक बार देवताओं ने ब्रह्मा और विष्णु से पूछा कि जगत में सबसे श्रेष्ठ कौन है ? इस पर स्वाभाविक ही उन्होंने अपने को श्रेष्ठ बताया। वहीं जब देवताओं ने वेदशास्त्रों से यह सवाल पूछा गया तो उत्तर मिला कि जिनके भीतर चराचर जगत, भूत, भविष्य और वर्तमान समाया हुआ है अनादि अंनत और अविनाशी तो भगवान रूद्र ही हैं। वेद शास्त्रों से शिव के बारे में यह सब सुनकर ब्रह्मा ने पांचवें मुख से शिव के बारे में भला-बुरा कह दिया। 

इससे भगवान शिव को गुस्सा आया और उन्होंने भैरव को उत्पन्न करके कहा कि तुम ब्रह्मा पर शासन करो। इसके बाद दिव्य शक्ति संपन्न भैरव ने अपने बाएं हाथ की सबसे छोटी अंगुली के नाखून से शिव के प्रति अपमान जनक शब्द कहने वाले ब्रह्मा के पांचवे सर को ही काट दिया, लेकिन ब्रह्माजी का कटा हुआ पांचवा सिर उनके हाथ से चिपक गया। उसी समय भोले बाबा काल भैरव के सामने प्रकट हुए। उन्होंने काल भैरव को बताया कि ब्रह्माजी का सिर काटने की वजह से ब्रह्म हत्या का दोष लग चुका है। अपने किए का पश्चाताप करने के लिए तुम्हें तीनों लोकों का भ्रमण करना होगा। भ्रमण के दौरान जिस जगह तुम्हारे हाथ से यह सिर छूट जाएगा, वहीं तुम इस पाप से मुक्त हो जाओगे

भ्रमण के दौरान काल भैरव काशी पहुंचे। यहां गंगा तट के किनारे पहुंचते ही काल भैरव के हाथ से ब्रह्माजी का सिर छूट गया। इस घटना के बाद भोलेबाबा ने काल भैरव के सामने प्रकट होकर उन्हें आशीर्वाद दिया कि तुम इस नगर के कोतवाल कहलाओगे और इसी रूप में लोग तुम्हारी पूजा करेंगे। जिसके बाद यहां काल भैरव का मंदिर बनवाया गया। आज भी ये काशी के कोतवाल के रूप में पूजे जाते हैं और इनका दर्शन किये वगैर विश्वनाथ का दर्शन अधूरा रहता है।
 
 

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