बाकी वर्षों से अलग होगा इस बार का कुंभ मेला, मकर संक्रान्ति के दिन पहला शाही स्नान

बाकी वर्षों से अलग होगा इस बार का कुंभ मेला, मकर संक्रान्ति के दिन पहला शाही स्नान

Bhaskar Hindi
Update: 2018-12-14 15:18 GMT
बाकी वर्षों से अलग होगा इस बार का कुंभ मेला, मकर संक्रान्ति के दिन पहला शाही स्नान
हाईलाइट
  • कुंभ मेला हिंदू धर्म में एक मेले की तरह नहीं
  • बल्कि पर्व की तरह मनाया जाता है।
  • कुंभ मेले को यूनेस्को ने इनटैजिबल कल्चरल हेरिटेज ऑफ ह्यूमैनिटी का दर्जा दिया है।
  • प्रयागराज में कुंभ इस बार 15 जनवरी से शुरू होगा और करीब 50 दिनों तक चलेगा।

डिजिटल डेस्क, प्रयागराज। कुंभ मेला हिंदू धर्म में एक मेले की तरह नहीं, बल्कि पर्व की तरह मनाया जाता है। इस पर्व को लेकर लोगों में भी काफी आस्था है। लोगों में ऐसी मान्यता है कि इस दौरान पवित्र गंगा में नहाने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। कुंभ मेला हर 12 साल पर आता है। दो बड़े कुंभ पर्वों के बीच एक अर्धकुंभ मेला भी लगता है। 2019 में आने वाला कुंभ मेला दरअसल अर्धकुंभ ही है। हालांकि प्रशासन और सरकार ने कहा था कि इसे अर्धकुंभ नहीं, बल्कि कुंभ के नाम से जाना जाएगा और इसको लेकर कुंभ जैसी तैयारियां चल रही है। प्रशासन ने यह भी कहा कि इस बार का कुंभ पिछले सभी कुंभ और अर्धकुंभ से अलग होगा। लोगों में भी इसको लेकर काफी क्रेज दिखाई पड़ रहा है। प्रयागराज में कुंभ इस बार 15 जनवरी से शुरू होगा और करीब 50 दिनों तक चलेगा। कुंभ मेले को यूनेस्को ने इनटैजिबल कल्चरल हेरिटेज ऑफ ह्यूमैनिटी का दर्जा दिया है।

कुंभ पर्व का इतिहास काफी पुराना है। यह विश्व में किसी भी धर्म द्वारा किया गया सबसे बड़ा आयोजन है। लाखों की संख्या में लोग इस पावन पर्व में उपस्थित होते हैं। कुंभ पर्व मुख्यत: चार स्थानों पर अलग-अलग समय पर मनाया जाता है। यह सभी स्थान किसी पवित्र नदियों के किनारे बसे हुए हैं। कुंभ का पर्व प्रयागराज में गंगा, यमुना एवं सरस्वती के पावन त्रिवेणी संगम पर मनाया जाता है। वहीं हरिद्वार में यह गंगा, उज्जैन में शिप्रा और नासिक में गोदावरी के किनारे मनाया जाता है। ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार जब बृहस्पति कुंभ राशि में और सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, तब कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। इस पर्व का संबंध देवता और असुरों के बीच हुए समुद्र मंथन से जुड़ा है। देवता-असुर जब अमृत कलश को एक दूसरे से छीन रह थे तब उसकी कुछ बूंदें धरती की तीन नदियों में गिरी थीं। गंगा, गोदावरी और क्षिप्रा ही वह तीन नदियां हैं। 

प्रयाग में होने वाले कुंभ पर्व के लिए दूसरे राज्यों के लोगों में भी काफी क्रेज देखा जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रयागराज का कुंभ मेला सभी मेलों में सर्वाधिक महत्व रखता है। प्रयागराज में "कुंभ" कानों में पड़ते ही गंगा, यमुना एवं सरस्वती का पावन त्रिवेणी संगम ध्यान में आता है। पवित्र संगम स्थल पर विशाल जन सैलाब देखते ही बनता है। कुंभ पर्व के प्रति लोगों की आस्था को देखकर हृदय भक्ति-भाव से विहवल हो उठता है। श्री अखाड़ो के शाही स्नान से लेकर संत पंडालों में धार्मिक मंत्रोच्चार, ऋषियों द्वारा सत्य और ज्ञान का पाठ देश-विदेश के भक्तों को आकर्षित करती है। संगम में डुबकी से मन और हृदय पवित्र हो जाता है। अपनी पारंपरिक वेशभूषा में जब संत-तपस्वी और उनके शिष्य त्रिवेणी संगम पर स्नान करने के लिए निकलते हैं, तो वह दृश्य देखने के लिए भक्तों का तांता लग जाता है। 

प्रयागराज का कुंभ मेला अन्य स्थानों के कुंभ की तुलना में बहुत से कारणों से काफी अलग है। इसका पहला कारण यह है कि शास्त्रों में त्रिवेणी संगम को पृथ्वी का केन्द्र माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि-सृजन के लिए प्रयाग में ही यज्ञ किया था। प्रयागराज को तीर्थों का तीर्थ कहा गया है, क्योंकि यहां किये गये धार्मिक क्रियाकलापों एवं तपस्या का फल अन्य तीर्थ स्थलों से अधिक माना जाता है। प्रयाग में एक महीने तक भगवान की ध्यान में लीन रहने से सारी मनोकामनायें पूर्ण होती हैं। ऐसा कहा जाता है कि यहां त्रिवेणी संगम में स्नान करने वाला व्यक्ति मोक्ष प्राप्त कर लेता है। केवल तीर्थयात्रियों की सेवा करने से भी व्यक्ति को लोभ-मोह से छुटकारा मिल जाता है।

गौरतलब है कि 2019 में होने वाले इस बार के कुंभ पर्व के लिए यूपी प्रशासन ने देश के सभी राज्यों को कुंभ मेले के लिए आमंत्रण भेजने की योजना बनाई है। पहला शाही स्नान 15 जनवरी यानि मकर संक्रान्ति के दिन होगा और 4 मार्च यानि महाशिवरात्रि तक चलेगा। इस बार कुंभ में करीब 10 से 15 करोड़ लोगों के आने की संभावना है। वहीं इसमें से करीब 20 लाख लोग कल्पवासी होंगे, जो कि गंगा के तट पर टेंट में रहेंगे। वहीं इस पर्व में करीब 10 लाख विदेशी लोगों के भी आने की संभावना है। इस महाआयोजन के लिए प्रशासन ने यात्रा और ठहरने के प्रबंध के लिए पहले ही कमर कस चुकी है। इस बार का कुंभ श्रद्धालुओं की सुविधा के लिहाज से बिलकुल अलग होगा। प्रशासन के अनुसार इस बार 2000 की क्षमता वाले तीन सत्संग पंडाल के अलावा यात्रियों के स्नान करने के बाद ठहरने के लिए भी कई पंडाल बनाए जाएंगे। प्रत्येक पंडाल में 10,000 लोगों के बैठने की जगह होगी। इसके अलावा संतों के ठहरने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। 

प्रशासन के अनुसार इस बार के कुंभ में कई नई चीजें देखने को मिलेंगी। युवाओं के लिए सेल्फी पॉइंट से लेकर वाटर एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई है। वहीं नए श्रद्धालुओं के लिए एक इन्फॉर्मेशन डेस्क भी बनाया गया है, जिसका नाम अटल कॉर्नर रखा गया है। ऐसा कहा जा रहा है कि इस बार के कुंभ मेले में संस्कृत ग्राम भी बनाया जाएगा। 10 एकड़ में बनाया जाने वाले इस ग्राम में श्रद्धालु कुंभ के महत्व और इसके इतिहास के बारे में जान पाएंगे। भक्तों के लिए प्रशासन काफी तैयारी भी कर रहा है। इसके लिए 800 स्पेशल ट्रेनें चलाने का भी ऐलान किया है। इस तरह का महाआयोजन जिसमें लोगों की श्रद्धा और आस्था के साथ-साथ मस्ती का बेहतरीन संगम कम ही देखने को मिलती है। इस प्रकार के शांतिपूर्ण धार्मिक सम्मेलन में सभी वर्गों के लोग बिना किसी भेदभाव के मिलजुल कर रहते हैं। यह पूरे विश्व के लिए एक उदाहरण है। 

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