करवा चौथ: 70 साल बाद बन रहा यह संयोग, जानें व्रत और पूजा विधि

करवा चौथ: 70 साल बाद बन रहा यह संयोग, जानें व्रत और पूजा विधि

Bhaskar Hindi
Update: 2019-10-16 04:21 GMT

डिजिटल डेस्क। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का त्यौहार मनाया जाता है। इस बार करवा चौथ गुरुवार 17 अक्टूबर यानी कि आज मनाया जा रहा है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और स्वस्थ्य शरीर की कामना के लिए व्रत रखती हैं। यह व्रत महिलाएं पूरे दिन रखती हैं और शाम के समय भगवान शिव, माता पर्वती, गणेश और कार्तिकेय की विधिवत पूजा करती हैं। इसके बाद रात को चांद देखकर उसे अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं।

70 सालों बाद ये योग
खास बात यह कि इस साल करवा चौथ पर 4 अद्भुत संयोग पड़ रहे हैं। ऐसा संयोग 70 सालों बाद पड़ रहा है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बार रोहिणी नक्षत्र के साथ मंगल का योग होना करवा चौथ को अधिक मंगलकारी बना रहा है। रोहिणी नक्षत्र और चंद्रमा में रोहिणी का योग होने से मार्कण्डेय और सत्याभामा योग इस करवा चौथ पर बन रहा है।

करवा चौथ मुहूर्त शुभ मुहूर्त 
पूजा मुहूर्त: शाम 5.50 से 07.05 बजे तक
पूजा मुहूर्त की कुल अवधि: 01 घंटा 15 मिनट
करवा चौथ व्रत समय: सुबह 06.23 बजे से रात 08.16 तक
व्रत की कुल अवधि: 13 घंटे 53 मिनट
करवा चौथ के दिन चंद्रोदय का समय: रात 8.16 बजे
चतुर्थी तिथि: करवा चौथ के दिन चतुर्थी तिथि की शुरुआत सुबह 06 बजकर 48 मिनट से
चतुर्थी तिथि का समापन: 18 अक्टूबर सुबह 07 बजकर 29 मिनट पर

ऐसे करें पूजा
इस दिन भगवान शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा का पूजन करें। शुद्ध घी में आटे को सेंककर उसमें शक्कर अथवा खांड मिलाकर मोदक (लड्डू) नैवेद्य बनाएं। पूजा करते समय निम्न मंत्र बोलें

  • "ॐ शिवायै नमः" से पार्वती का 
  • "ॐ नमः शिवाय" से शिव का
  • "ॐ षण्मुखाय नमः" से स्वामी कार्तिकेय का
  • "ॐ गणेशाय नमः" से गणेश का 
  • "ॐ सोमाय नमः" से चंद्र देव का पूजन करें।

करें ये काम
करवों में लड्डू का नैवेद्य रखकर नैवेद्य अर्पित करें। एक लोटा, एक वस्त्र व एक विशेष करवा दक्षिणा के रूप में अर्पित कर पूजन समापन करें। करवा चौथ व्रत की कथा पढ़ें अथवा सुनें। पति की माता अर्थात अपनी सासू मां को भेंट रूप से एक लोटा, वस्त्र व विशेष करवा भेंट कर आशीर्वाद लें। यदि वे जीवित न हों तो उनके तुल्य किसी अन्य स्त्री को भेंट करें। कुआंरी कन्याएं किसी सुहागन वृद्ध महिला को भेंट स्वरुप वस्त्र या कुछ सुहाग सामग्री भेंट में दें। इसके पश्चात स्वयं व परिवार के अन्य सदस्य भोजन करें। 

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