कालाष्टमी: इस व्रत को करने से नकारात्मक शक्तियां होती हैं खत्म, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त
कालाष्टमी: इस व्रत को करने से नकारात्मक शक्तियां होती हैं खत्म, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। माघ का महीना अत्यंत पवित्र होता है, इस माह में वैसे तो कई व्रत और पर्व आते हैं, लेकिन कृष्ण पक्ष अष्टमी की तिथि को आने वाली कालाष्टमी का पर्व खास होता है, जो कि इस बार 04 फरवरी गुरुवार को है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप यानी कालभैरव की उपासना की जाती है। इस दिन को भैरवाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन का व्रत रखने से सभी नकारात्मक शक्तियां खत्म हो जाती हैं।
शिव पुराण में बताया गया है कि शिवजी हर कण में विराजमान हैं, इस वजह से शिवजी ही इन तीन गुणों के नियंत्रक माने गए हैं। शिवजी को आनंद स्वरूप में शंभू, विकराल स्वरूप में उग्र और सत्व स्वरूप में सात्विक भी पुकारा जाता है। माना जाता है कि इस जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा के साथ व्रत करता है और विधि-विधान के साथ पूजा करता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। आइए जानते हैं इसका महत्व और पूजा विधि...
इस माह में आएंगे ये महत्वपूर्ण व्रत और त्यौहार, देखें पूरी लिस्ट
शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 4 फरवरी, गुरुवार रात 12 बजकर 7 मिनट से
अष्टमी तिथि समाप्त: 5 फरवरी, शुक्रवार रात 10 बजकर 7 मिनट तक
पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
- इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
- इस दिन भैरव मंदिर में जाकर आराधना करें।
- संभव ना होने पर अपने घर में भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं।
- कालाष्टमी के दिन भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करें।
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- 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से "ॐ नम: शिवाय" लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं।
- शाम के समय भगवान शिव के साथ माता पार्वती जी और भैरव जी की पूजा करें।
- भैरव जी की पूजा करने के लिए काले तिल, उड़द, दीपक, धूप और सरसों का तेल का उपयोग करें।
- पूजा के दौरान भगवान भैरव की आरती करें।
करें ये काम भी
- भैरव बाबा की उपासना षोड्षोपचार पूजन सहित करनी चाहिए और रात्री में जागरण करना चाहिए।
- रात में भजन कीर्तन करते हुए भैरव कथा व आरती करने से विशेष लाभ मिलता है।
- भैरव अष्टमी के दिन व्रत और पूजा उपासना करने से शत्रुओं और नकारात्मक शक्तियों का नाश हो जाता है।
- इस दिन भैरव बाबा की विशेष पूजा अर्चना करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है।