Jyeshtha Maas: शुरू हो चुका है ज्येष्ठ माह, जानें इस माह का वैज्ञानिक महत्व

Jyeshtha Maas: शुरू हो चुका है ज्येष्ठ माह, जानें इस माह का वैज्ञानिक महत्व

Bhaskar Hindi
Update: 2021-05-29 09:07 GMT
Jyeshtha Maas: शुरू हो चुका है ज्येष्ठ माह, जानें इस माह का वैज्ञानिक महत्व

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू कैलेंडर के तीसरे माह को ज्येष्ठ नाम से जाना जाता है इसे आम बोलचाल की भाषा में जेठ का महिना भी कहा जाता है। शास्त्रों में ज्येष्ठ के महिने का खास धार्मिक महत्व बताया गया है। इस बार यह माह अंग्रेजी महीने मई की 27 तारीख से शुरू हो गया है और 25 जून को समाप्त होगा। इसके नाम को लेकर कहा जाता है कि, चूंकि इस महीने में सूर्य अत्यंत शक्तिशाली होता है जिससे भयंकर गर्मी होती है। सूर्य की ज्येष्ठता के कारण इस माह को ज्येष्ठ कहा जाता है। 

इस महीने के शुरुआती दिनों में नौतपा होते हैं और तेज गर्म हवाएं चलती हैं। धार्मिक दृष्टि से ज्येष्ठ माह का संबंध पानी से जोड़ा गया है, ताकि जल का संरक्षण किया जा सके। इसलिए ज्येष्ठ महिने में गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी जैसे व्रत भी आते हैं। इस मास में सूर्य और वरुण देव की उपासना विशेष फलदायी होती है। आइए जानते हैं इस माह का महत्व...

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वैज्ञानिक महत्व 
हिन्दी माह के इस माह का वैज्ञानिक महत्व भी बताया गया है। चूंकि इस माह में वातावरण गर्म होता है और शरीर में जल का स्तर भी गिरने लगता है। ऐसे में इस माह में जल का सही उपयोग करन चाहिए। इसके व्यर्थ बहने और उपयोग से रोकना चाहिए। इस माह में हरी सब्जियां, सत्तू, जल वाले फलों का प्रयोग लाभदायक बताया गया है। यही नहीं स्वाथ्य की दृष्टि से ही इस महीने में दोपहर का विश्राम करना भी लाभदायक माना गया है। 

इस माह में करें ये कार्य
इस मास में सूर्य और वरुण देव की उपासना विशेष फलदायी होती है। इसलिए कहा गया है कि इस माह में हर सुबह और संभव हो तो शाम को भी पौधों में जल देना चाहिए। चूंकि इस माह में गर्मी तेज होती है और जल संकट भी। ऐसे में प्यासे को पानी पिलाना भी पुन्य कार्य की दृष्टि से बड़ा माना गया है। इस माह में घड़े के अलावा जल और पंखों का दान करना भी श्रेष्ठ बताया गया है। 

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यही नहीं इस माह में मंगलवार को हनुमान जी की भी विशेष पूजा की जाती है। इस दिन हनुमान जी को तुलसी दल की माला अर्पित की जाती है। उनकी स्तुति से हर तरह के कष्टों से ​मुक्ति मिलती है। 

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