जानें होलिका दहन का मुहूर्त और पूजा की विधि
होली 2023 जानें होलिका दहन का मुहूर्त और पूजा की विधि
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदु पंचाग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष यह त्योहार 07 मार्च 2023, मंगलवार को मनाया जाएगा। दो दिन तक चलने वाले इस त्योहार के पहले दिन होलिका जलाई जाती है, जिसे होलिका दहन कहते हैं और दूसरे दिन रंगों से खेला जाता है। दूसरे दिन लोग एक दूसरे पर अबिर गुलाल फेकते के साथ घर-घर जाकर एक दूसरे को रंग लगाते हैं और आपस में मेल जोल को बढ़ाते हैं।
बता दें कि, होली, भारत के सभी प्रमुख त्यौहारो में से एक है। यह त्यौहार मुख्य रुप से भारत और नेपाल में जाता है। यह त्यौहार कई अन्य देशों में, जहाँ अल्पसंख्यक हिंदु लोग रहते है, वहाँ भी धूमधाम से मनाया जाता है। जानिए होलिका दहन का मुहूर्त, पूजा विधि और इस पर्व से जुड़ी कहानी।
शुभ मुर्हूत:
होलिका दहन मुहूर्त आरंभ: 07 मार्च शाम करीब 05 बजकर 48 मिनट से
होलिका दहन मुहूर्त समापन: 07 मार्च रात 07 बजकर 24 मिनट तक
कैसे मनाते है, होलिका ?
सनातन धर्म में होलिका दहन का खास महत्व है, होलिका दहन के पहले से ही लोग होलिका दहन की तैयारी करना शुरू कर देते है, चौराहों पर लकड़ी के लट्ठे जमीन में गाड़ देते हैं, उसके आस-पास लकड़ी और कंडे लगाते हैं। होलिका दहन से पहले इसकी पूजा की जाती है और उसके बाद लोग आग जलाते हैं फिर अग्नि की परिक्रमा करते हैं। कहा जाता है कि होलिका का त्योहार अच्छाई पर बुराई की जीत का प्रतीक है।
क्यों मनाई जाती है, होली ?
होली से जुड़ी कई कहानियां हैं, लेकिन सबसे प्रसिद्ध कहानी है हिरण्यकश्यप की, हिरण्यकश्यप राक्षसों का राजा था। उसका पुत्र प्रह्लाद, भगवान विष्णु का परम भक्त था। राजा हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु को अपना शत्रु मानता था। जब उसे पता चला कि प्रह्लाद उसके मना करने पर भी श्रीहरि की भक्ति करता है तो हिरण्यकश्यप प्रह्लाद को यातनाएं देने लगा। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को पहाड़ से नीचे गिराया, हाथी के पैर से कचलवाने की कोशिश की, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गया। हिरण्यकश्यप की होलिका नाम एक बहन थी। उसे वरदान था कि वह अग्नि में नहीं जलेगी। हिरण्यकश्यप के कहने पर होलिका प्रह्लाद को मारने के लिए अपनी गोद में बैठाकर आग में प्रवेश कर गई। किन्तु भगवान विष्णु के कृपा से तब भी भक्त प्रह्लाद बच गया और होलिका दहन होने लगा और ये त्यौहार मनाया जाने लगा।
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