गुरू पूर्णिमा 2020: कल है ये पर्व, जानें महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

गुरू पूर्णिमा 2020: कल है ये पर्व, जानें महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Bhaskar Hindi
Update: 2020-07-04 09:42 GMT
गुरू पूर्णिमा 2020: कल है ये पर्व, जानें महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जीवन में गुरु के महत्व को बताने वाली गुरु पूर्णिमा का हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्व है। यह दिन गुरुओं की सेवा, उनकी पूजा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का होता है। इस पर्व को आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो कि इस बार 05 जुलाई यानि कि कल रविवार को है। वैसे तो भारतवर्ष में कई महान विद्वान गुरु हुए हैं, किन्तु महर्षि वेद व्यास प्रथम विद्वान थे, जिन्होंने सनातन धर्म (हिन्दू धर्म) के चारों वेदों की व्याख्या की थी। ऐसे में यह पर्व महर्षि वेद व्यास को समर्पित है और इस तिथि को व्यास पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।

गुरू पूर्णिमा के अवसर पर चंद्र ग्रहण भी पड़ रहा है, जो सुबह 8 बजकर 54 मिनट में शुरू होगा और 11 बजकर 21 मिनट में समाप्त हो होगा। चंद्र ग्रहण की कुल अवधि 2 घंटा 43 मिनट और 54 सेकेंड की होगी। दिन में चंद्र ग्रहण लगने के कारण भारत में यह दिखाई नहीं देगा, ऐसे में इस ग्रहण का सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।

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गुरु पूर्णिमा का पूजा मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारंंभ: 4 जुलाई, सुबह 11 बजकर 33 मिनट से।
पूर्णिमा तिथि समापान: 5 जुलाई, सुबह 10 बजकर 13 मिनट तक।

पूजा विधि
- गुरु पूर्णिमा पर सुबह जल्दी उठकर दैनिक क्रिया से निवृत्त हों और स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। 
- घर के पूजा स्थल पर लगी देवी-देवताओं को प्रणाम करते हुए उनकी विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करें।
- संभव हो तो पूजा के दौरान सफेद या पीले वस्त्र पहनकर ही गुरु पूर्णिमा की पूजा करें।
- पूजा के दौरान घर की उत्तर दिशा में सफेद वस्त्र पर गुरु का चित्र रखें। 
- यदि आपके गुरू आपके पास हैं या आश्रम में हैं तो वहां पर इसका प्रबंध करें।

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- इसके बाद आप अपना नाम, अपने गौत्र का उच्चारण करके हाथ में जल लेकर गुरू पूजा का संकल्प लें।
- फिर भगवान का ध्यान करते हुए गुरू के चरण धोएं।
- इसके बाद गुरु को फूलों की माला अर्पित करें। 
- आखिर में गुरू के चित्र या साक्षात् गुरु की आरती उतारकर उनसे आशीर्वाद मांगे। 
- यदि आपके गुरू आपके पास हैं या आश्रम में हैं तो पूजा करने के बाद अपने गुरु के पास जाकर उनका पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए।

इन मंत्रों का कर सकतें जाप

  • - गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वराय
  • गुरुर्साक्षात् परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः
  • - ओम् गुरुभ्यो नमः
  • - ओम् गुं गुरुभ्यो नमः
  • - ओम् परमतत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नम:
  • - ओम् वेदाहि गुरु देवाय विद्महे परम गुरुवे धीमहि तन्नौ: गुरु: प्रचोदयात्।
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