गुप्त नवरात्रि: महागौरी की पूजा के साथ होगा नवरात्रि का समापन
गुप्त नवरात्रि: महागौरी की पूजा के साथ होगा नवरात्रि का समापन
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नवरात्रि मां भगवती की आराधना का पर्व है। एक साल में चार नवरात्रि आती हैं। पहली शारदीय नवरात्रि, दूसरी चैत्र नवरात्रि। वहीं गुप्त नवरात्रि साल में दो बार आती है। माघ मास की गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ 25 जनवरी शनिवार से शुरू हो चुकी है। से हो रहा है। 2 फरवरी को महागौरी की पूजा के साथ इस नवरात्रि का समापन होगा।
माना जाता है कि गुप्त नवरात्रियों का महत्व चैत्र और शारदीय नवरात्रियों से भी अधिक होता है, क्योंकि इनमें देवी अपने पूर्ण स्वरूप में विद्यमान रहती हैं जो प्रकट रूप में नहीं होता है। सबसे जरूरी और महत्वपूर्ण बात यह है कि साधकों को पूर्ण संयम, नियम और शुद्धता से देवी आराधना करना होती है।
जानिए क्यों गणेश जी को दूर्वा अर्पित की जाती है, और तुलसी नहीं ?
गुप्त नवरात्रि की पूजा:
जहां तक पूजा की विधि का सवाल है गुप्त नवरात्रि की पूजा भी अन्य नवरात्रि की तरह ही करना चाहिए। प्रतिपदा के दिन सुबह- शाम दोनों समय मां दुर्गा की पूजा की जाती है। जबकि अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन कर व्रत का उद्यापन किया जाता है। इन नौ दिनों तक प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से भी विशेष फल मिलता है।
विशेष बात ये है कि गुप्त नवरात्रि के समय जो पूजा की जाती है वो किसी गुप्त स्थान में या किसी सिद्धस्त श्मसान में ही की जाती है। क्योंकि इस तरह की साधना के समय जिस तरह की शांति की आवश्यक होती है वो सिर्फ श्मसान में ही मिल सकती है। यहां साधक पूरी एकाग्रता के साथ अपनी साधनाएं संपन्न कर पाता है। वैसे कहा जाता है कि भारत में चार ऐसे श्मसान घाट हैं जहां तंत्र क्रियाओं का परिणाम बहुत जल्दी मिलता है। जिसमें असम के कामाख्या पीठ का श्मसान, पश्चिम बंगाल स्थित तारापीठ का श्मसान, नासिक और उज्जैन स्थित चक्रतीर्थ श्मसान का नाम बहुत विशेष है।
इस माह में करें काले तिल के ये उपाय, दूर हो सकती हैं आपकी परेशानियां
इन बातों का रखें विशेष ध्यानः
नवरात्रि में मिटटी, पीतल, तांबा, चांदी या सोने का ही कलश स्थापित करें, लोहे या स्टील के कलश का प्रयोग बिल्कुल ना करें। नवरात्रि के समय ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। व्रत करने वाले भक्त को जमीन पर सोना चाहिए और केवल फलाहार करना चाहिए।
नवरात्रि में क्रोध, मोह, लोभ जैसे दुष्प्रवृत्तियों का त्याग करना चाहिए। घर में सूतक हो (किसी का घर में जन्म या मृत्यु हुई) तो घट स्थापना ना करें और यदि नवरात्रि के बीच में सूतक हो जाए तो कोई दोष नहीं होता। नवरात्रि का व्रत करने वाले भक्तों को कन्या पूजन अवश्य करना चाहिए।
जिसे अपनी जन्म राशि की जानकारी नहीं है वो लोग नवरात्रि के समय मां दुर्गा के नर्वाण मंत्र का जप एवं अनुष्ठान करें।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।।