गुप्त नवरात्रि 2020: करें मां दुर्गा की आराधना, इन बातों का रखें ख्याल
गुप्त नवरात्रि 2020: करें मां दुर्गा की आराधना, इन बातों का रखें ख्याल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नवरात्रि मां भगवती की आराधना का पर्व है। इस पर्व को साल में दो बार धूम-धाम से मनाया जाता है, जिसे सभी चैत्र या वासंतिक नवरात्र और अश्विन या शारदीय नवरात्र के नाम से जाना जाता है। लेकिन इसके अतिरिक्त दो और भी नवरात्र हैं जिनमें विशेष कामनाओं की सिद्धि की जाती है। हालांकि इस बारे में कम ही लोग जानते हैं, लेकिन कुल मिलाकर वर्ष में चार नवरात्र होते हैं। यह चारों ही नवरात्र ऋतु परिवर्तन के समय मनाए जाते हैं। फिलहाल 22 जून यानि कि आज सोमवार से गुप्त नवरात्र की शुरुआत हो गई है। बता दें कि "नवरात्र" शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर महानवमी तक किए जाने वाले पूजन, जाप, उपवास का प्रतीक है।
नवरात्र में मां भगवती के नौ रूपों की भक्ति करने से हर मनोकामना पूरी होती है। देवी पुराण के अनुसार एक वर्ष में चार माह नवरात्र के लिए निश्चित हैं। वर्ष के प्रथम महीने अर्थात चैत्र में प्रथम नवरात्रि होती है। चौथे माह आषाढ़ में दूसरी गुप्त नवरात्रि होती है। इसके बाद अश्विन मास में तीसरी और प्रमुख नवरात्रि होती है। इसी प्रकार वर्ष के ग्यारहवें महीने अर्थात् शुक्ल पक्ष माघ में चौथी गुप्त नवरात्रि का महोत्सव मनाने का उल्लेख एवं विधान देवी भागवत तथा अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है।
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कलश स्थापना का मुहूर्त:-
सुबह 9.30 बजे से सुबह 11 बजे तक
गुप्त नवरात्रि की पूजा
पंडित और ज्योतिष के अनुसार गुप्त नवरात्रि की पूजा भी अन्य नवरात्रि की तरह ही करना चाहिए। प्रतिपदा के दिन सुबह-शाम दोनों समय मां दुर्गा की पूजा की जाती है। जबकि अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन कर व्रत का उद्यापन किया जाता है। इन नौ दिनों तक प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से भी विशेष फल मिलता है।
विशेष बात ये है कि गुप्त नवरात्रि के समय जो पूजा की जाती है वो किसी गुप्त स्थान में या किसी सिद्धस्त श्मसान में ही की जाती है। क्योंकि इस तरह की साधना के समय जिस तरह की शांति की आवश्यक होती है वो सिर्फ श्मसान में ही मिल सकती है। यहां साधक पूरी एकाग्रता के साथ अपनी साधनाएं संपन्न कर पाता है। वैसे कहा जाता है कि भारत में चार ऐसे श्मसान घाट हैं जहां तंत्र क्रियाओं का परिणाम बहुत जल्दी मिलता है। जिसमें असम के कामाख्या पीठ का श्मसान, पश्चिम बंगाल स्थित तारापीठ का श्मसान, नासिक और उज्जैन स्थित चक्रतीर्थ श्मसान का नाम बहुत विशेष है।
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इन बातों का रखें विशेष ध्यानः
नवरात्रि में मिटटी, पीतल, तांबा, चांदी या सोने का ही कलश स्थापित करें, लोहे या स्टील के कलश का प्रयोग बिल्कुल ना करें। नवरात्रि के समय ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। व्रत करने वाले भक्त को जमीन पर सोना चाहिए और केवल फलाहार करना चाहिए।
नवरात्रि में क्रोध, मोह, लोभ जैसे दुष्प्रवृत्तियों का त्याग करना चाहिए। घर में सूतक हो (किसी का घर में जन्म या मृत्यु हुई) तो घट स्थापना ना करें और यदि नवरात्रि के बीच में सूतक हो जाए तो कोई दोष नहीं होता। नवरात्रि का व्रत करने वाले भक्तों को कन्या पूजन अवश्य करना चाहिए।