गंगा दशहरा: आज मनाया जा रहा ये पर्व, जानें क्या है इसका महत्व

गंगा दशहरा: आज मनाया जा रहा ये पर्व, जानें क्या है इसका महत्व

Bhaskar Hindi
Update: 2020-05-29 12:07 GMT
गंगा दशहरा: आज मनाया जा रहा ये पर्व, जानें क्या है इसका महत्व

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गंगा दशहरा का पर्व ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि को मनाया जाता है, जो कि इस बार 01 जून को मनाया जाएगा। माना जाता है कि इसी दिन गंगा का अवतरण धरती पर हुआ था। गंगा दशहरे पर गंगा स्नान, गंगा जल का प्रयोग, और दान करना विशेष लाभकारी होता है। इस दिन गंगा की आराधना करने से पापों से मुक्ति मिलती है साथ ही व्यक्ति को मुक्ति मोक्ष का लाभ मिलता है। 

पुराणों के अनुसार भागीरथी ही गंगा हुई और हिन्दू धर्म में मोक्षदायिनी मानी गई हैं। इन्हें शिव की अर्धांगिनी भी माना जाता है और अभी भी शिव की जटाओं में इनका वास है। इसलिए इस दिन शिवालय में गंगाजल से शिवजी का अभिषेक करने पर भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। 

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गंगा जलाभिषेक
इस दिन शिवालय में गंगा जलाभिषेक के बाद अमृत मृत्युंजय का जाप करने के साथ अच्छे स्वास्थ्य और लम्बी आयु की प्रार्थना करना चाहिए। माना जाता है कि गंगा श्री विष्णु के चरणों में रहती थीं, भागीरथ की तपस्या से, शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में धारण किया। फिर शिव जी ने अपनी जटाओं को सात धाराओं में विभाजित कर दिया। माना जाता है कि गंगा का जल पुण्य देता है और पापों का नाश करता है।

गंगा या पवित्र नदी में स्नान
गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान करें संभव ना हो तो किसी पवित्र नदी में स्नान करें। इस दिन घी में चुपड़े हुए तिल और गुड़ को या तो जल में डालें या पीपल के नीचे रख दें। इसके बाद मां गंगा का ध्यान करके उनकी पूजा करें, उनके मन्त्रों का जाप करें। इस दिन पूजन में जो सामग्री प्रयोग करें, उनकी संख्या दस रखें, खास तौर पर दीपक की संख्या दस हो। पूजन के बाद दस ब्राह्मणों को दान भी करें, लेकिन ध्यान रहे उन्हें दिए जाने वाले अनाज सोलह मुट्ठी होने चाहिए।

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यदि आप गंगा नदी या किसी पवित्र नदी में स्नान करने नहीं जा सकते हैं तो ऐसी स्थिति में घर में ही शीतल जल से स्नान करें। स्नान के दौरान जल में थोड़ा सा गंगाजल मिलाएं या तुलसी के पत्ते डालें। इसके बाद मां गंगा का ध्यान करते हुये स्नान आरम्भ करें। स्नान करने के बाद सूर्य देवता को जल अर्पित करें। इसके बाद मां गंगा के मन्त्रों का जाप करें। पूजन के बाद निर्धन व्यक्ति या ब्राह्मण को दान करें।

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