दशा माता व्रत पूजा आज, जानें पूजा विधि

दशा माता व्रत पूजा आज, जानें पूजा विधि

Bhaskar Hindi
Update: 2019-03-30 09:47 GMT
दशा माता व्रत पूजा आज, जानें पूजा विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चैत्र कृष्ण की दशमी के दिन महिलाएं दशामाता का व्रत करती हैं। दशमाता व्रत मुख्यरूप से घर की दशा ठीक होने के लिए किया जाता है। माना जाता है कि जब मनुष्य की दशा ठीक होती है तब उसके सभी कार्य अनुकूल होते हैं, किंतु जब यह प्रतिकूल होती है तब मनुष्य को बहुत परेशानी होती है, इन्हीं परेशानियों से निजात पाने के लिए इस व्रत को करने की मान्यता है।

दशा माता पूजन विधि :-
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दीवार पर स्वास्तिक बनाएं एवं मेहंदी अथवा सिंदूर से वही दस बिंदिया अंगुली से बना दें। 
पूजा सामग्री में रोली, मौली, सुपारी, चावल, दीप, नैवेद्य, धुप, अगरबत्ती लें। इस दिन महिलाएं कच्चे सूत का डोरा लाकर डोरे की कहानी कहती हैं।
इसके लिए सूत का बना श्वेत धागा लें और उसमे गांठ लगा लें, इसके बाद उसे हल्दी में रंग लें। इस धागे को दशा माता की बेल कहते हैं। इसकी पूजा भी साथ में ही करें और डोरे में 10 गांठ लगाकर गले में बांध लें। इसे फिर पुरे साल कभी न उतारे। अगले वर्ष जब पुनः पूजा करें तो इसे उतारकर नए धागे की पूजा करके धारण करें।
महिलाएं पीपल की पूजा कर 10 बार पीपल की परिक्रमा करते हुए उस पर सूत लपेटती हैं नियमानुसार दशा माता की पूजा  एवं अर्चना करने से दशा माता की कृपा प्राप्त होती है। घर में सुख शांति व समृद्धि आती है। इस दिन कच्चे सूत का 10 तार का डोरा से भी पीपल की पूजा करती हैं।
सुहागिन महिलाएं इस डोरे की पूजा के बाद पूजनस्थल पर नल-दमयंती की कथा सुनती हैं। इसके बाद महिलाएं अपने घरों पर हल्दी और कुमकुम के छापे लगाती हैं। इस दिन में एक ही बार अन्न ग्रहण करती हैं। जिसमें एक ही प्रकार के अन्न के प्रयोग का विधान है। भोजन में नमक का प्रयोग पूर्ण रूप से वर्जित माना जाता है। इस दिन प्रयोग किए जाने वाले अन्न में गेहूं का प्रयोग विशेष तौर पर किया जाता है। इस दिन घर की साफ-सफाई के लिए झाडू खरीदने का विधान है। दशमाता व्रत जीवनभर किया जाता है। इस व्रत का उद्यापन नहीं किया जाता है।  

पूजा के लिए शुभ समय 
इस दिन 14:04 से रात्रि 03:22 तक भद्रा और दशमी तिथि एक साथ समाप्त हो रहे हैं जिस केकारण सभी भक्तों में इस व्रत की पूजा को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। लेकिन यहां भद्रा का वास पाताल लोक में होने के कारण यह शुभ फल देने वाली रहेगी अतः इस अवधि में भी पूजन करना श्रेष्ठ रहेगा। 

शुभ चौघड़िया  :- 
चर, लाभ और अमृत के चौघड़िए में भी पूजन करना शुभ रहेगा।
 

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