जानें खरना की पूजन विधि व महत्व
छठ पूजा का दूसरा दिन जानें खरना की पूजन विधि व महत्व
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में इन दिनों छठ पर्व की धूम है, पहले दिन की शुरुआत नहाय-खाए के साथ हुई। वहीं पूजा का दूसरा चरण खरना है, जो कि 29 अक्टूबर, शनिवार को है। खरना काफी कठिन माना जाता है, क्योंकि इस दिन व्रतियों द्वारा निर्जला उपवास रखा जाता है। इस व्रत में व्रती चढ़ते सूर्य को छठ को अर्घ्य देते हैं। इस दिन प्रसाद के रूप में रोटी और खीर ग्रहण करने की परंपरा है।
शाम को पूजा होती है और खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण किया जाता है। इसे खरना कहा जाता है। पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण किया जाता है। खरना की पूजा में मूली और केला व मौसमी फल रखकर भी पूजा की जाती है। इसके अलावा प्रसाद में पूड़ियां, गुड़ की पूड़ियां तथा मिठाइयां रखकर भी भगवान को भोग लगाया जाता है। खरना के दिन व्रती इसी आहार को ग्रहण करता है।
प्रसाद
छठ पूजा के दूसरे दिन प्रसाद के रूप में गन्ने के रस में बने हुए चावल की खीर के साथ दूध, चावल का पिट्ठा और घी चुपड़ी रोटी बनाई जाती है। इसमें नमक और शक्कर का उपयोग नहीं किया जाता है। इसके अलावा ठेकुआ, मालपुआ, खीर, खजूर, चावल का लड्डू और सूजी का हलवा आदि छठ मइया को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है।
पूजा विधि
- दूसरे दिन शाम के समय गुड़ की खीर और पुड़ी बनाकर छठी माता को भोग लगाएं।
- सबसे पहले व्रती खीर खाएं बाद में परिवार और ब्राह्मणों को दें।
- सप्तमी के दिन सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में सारे व्रती घाट पर पहुंचे।
- इस दौरान वो पकवानों की टोकरियों, नारियल और फलों को साथ रखें।
- सभी व्रती उगते सूरज को डाल पकड़कर अर्घ्य दें।
- छठी की कथा सुनें और प्रसाद का वितरण करें।
- आखिर में व्रती प्रसाद ग्रहण कर व्रत खोलें।
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