उत्तराखण्ड, चार धाम यात्रा: 9 मई को खुलेंगे केदारनाथ के कपाट

उत्तराखण्ड, चार धाम यात्रा: 9 मई को खुलेंगे केदारनाथ के कपाट

Bhaskar Hindi
Update: 2019-05-06 12:10 GMT
उत्तराखण्ड, चार धाम यात्रा: 9 मई को खुलेंगे केदारनाथ के कपाट

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तराखंड की चारधाम यात्रा की शुरुआत 7 मई मंगलवार यानी अक्षय तृतीया के शुभअवसर पर हो चुकी है। इस यात्रा में यमुनोत्री और गंगोत्री के बाद केदारनाथ और आखिर पड़ाव में बद्रीनाथ के दर्शन करने की मान्यता है। इनमें गंगा का उद्गम मानने जाने वाले गंगोत्री धाम के कपाट मंगलवार सुबह 11:30 बजे खोले गए। वहीं उत्तरकाशी जिले की यमुना घाटी में स्थित यमुनोत्री के कपाट इसी दिन दोपहर 1:15 बजे खोले गए। इस यात्रा का तीसरा पड़ाव कहे जाने वाले केदारनाथ के कपाट 9 मई, गुरुवार को सुबह 5:35 बजे खोले जाएंगे और आखिर में 10 मई को सुबह सवा चार बजे कपाट के खुुलते ही बद्रीनाथ के दर्शन होंगे। आइए यात्रा से जुड़े इन स्थानों के बारे में...

यमुनोत्री धाम
उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित यमुनोत्री में यमुना नदी का उद्गम यहीं से माना गया है। यहां पर प्रकृति का अद्भुत आश्चर्य तप्त जल धाराओं का चट्टान से भभकते हुए "ओम् सदृश "ध्वनि के साथ है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, यमुनोत्री धाम असित मुनि का निवास था। यहां वर्तमान मंदिर का निर्माण जयपुर की महारानी गुलेरिया ने 19वीं सदी में करवाया। भूकंप से मंदिर का विध्वंस होने के बाद वर्ष 1919 में टिहरी के महाराजा प्रताप शाह ने इसका पुनर्निर्माण कराया। मंदिर के गर्भगृह में देवी यमुना की काले संगमरमर की मूर्ति विराजमान है।

गंगोत्री धाम
गंगोत्री धाम गंगा नदी का उद्गम स्थान है। गंगा मैया के मंदिर का निर्माण गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा द्वारा 18 वी शताब्दी के शुरूआत में किया गया था वर्तमान मंदिर का पुननिर्माण जयपुर के राजघराने द्वारा किया गया था। यमुनोत्री की ही तरह गंगोत्री का पावन मंदिर भी अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर खुलता है। मान्यता है कि श्रीराम के पूर्वज चक्रवर्ती राजा भगीरथ ने यहां भगवान शिव का कठोर तप किया था। शिव की कृपा से देवी गंगा ने इसी स्थान पर धरती का स्पर्श किया। यहीं 18वीं सदी में गढ़वाल के गोरखा सेनापति अमर सिंह थापा ने वर्तमान मंदिर का निर्माण करवाया था। सफेद ग्रेनाइट के चमकदार 20 फुट ऊंचे पत्थरों से निर्मित है यह। यहां शिवलिंग के रूप में एक नैसर्गिक चट्टान भागीरथी नदी में जलमग्न है। 

केदारनाथ धाम 
केदारनाथ को उत्तराखण्ड की चारों धाम यात्रा का तीसरा पड़ाव माना जाता है। मान्यता है कि तीर्थयात्री यमुना और गंगा के जल को यमुनोत्री और गंगोत्री से लाकर केदारनाथ का जलाभिषेक कर बाबा केदारनाथ को प्रसन्न करते हैं। रुद्रप्रयाग जिले में मंदाकिनी और सरस्वती नदियों के संगम पर स्थित केदारनाथ धाम 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। भूरे रंग के विशालकाय पत्थरों से निर्मित कत्यूरी शैली के इस मंदिर का निर्माण पांडव वंश के राजा जनमेजय ने कराया था। मान्यता है कि आठवीं सदी में चारों दिशाओं में चार धाम स्थापित करने के बाद 32 वर्ष की आयु में शंकराचार्य ने केदारनाथ धाम में ही समाधि ली थी।

बद्रीनाथ धाम
बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित मंदिर है और यह स्थान इस धर्म में वर्णित सर्वाधिक पवित्र स्थानों, चार धामों, में से एक है। बद्रीनाथ मन्दिर में हिंदू धर्म के देवता विष्णु के एक रूप "बद्रीनारायण" की पूजा होती है। यहां उनकी १ मीटर (३.३ फीट) लंबी शालिग्राम से निर्मित मूर्ति है जिसके बारे में मान्यता है कि इसे आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में समीपस्थ नारद कुण्ड से निकालकर स्थापित किया था। मान्‍यता के अनुसार केदारनाथ धाम, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की यात्रा के बाद यदि आपने बद्रीनाथ धाम की यात्रा नहीं की तो आपकी चारधाम यात्रा अधूरी मानी जाती है। 
 

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