वैदिक मंत्रोचार के साथ खुले बद्रीनाथ धाम के कपाट, जय बद्री विशाल के गूंजे जयकारे
वैदिक मंत्रोचार के साथ खुले बद्रीनाथ धाम के कपाट, जय बद्री विशाल के गूंजे जयकारे
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चारों धाम की यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए बद्रीनाथ धाम के कपाट खोल दिए गए हैं। पूरे विधि विधान और वैदिक मंत्रोचार के साथ शुक्रवार को ब्रह्म मुहूर्त में प्रात: 4 बजकर 15 मिनट पर कपाट खोले गए। इस दौरान भक्तों ने जय बद्री विशाल के जयकारे लगाए, बता दें कि अब से 6 महीने तक धाम के कपाट खुले रहेंगे।
उत्तराखण्ड की इस चार धाम की यात्रा में बद्रीनाथ धाम को चौथा पड़ाव को माना जाता है। गंगा का उद्गम मानने जाने वाले गंगोत्री धाम और उत्तरकाशी जिले की यमुना घाटी में स्थित यमुनोत्री धाम के बाद श्रद्धालू केदारनाथ के दर्शन करते हैं और आखिर में बद्रीनाथ धाम पर आकर यह यात्रा पूरी होती है। मान्यता के अनुसार केदारनाथ धाम, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की यात्रा के बाद यदि आपने बद्रीनाथ धाम की यात्रा नहीं की तो आपकी चारधाम यात्रा अधूरी मानी जाती है।
धरती का वैकुण्ठ
इस मंदिर को “धरती का वैकुण्ठ” भी कहा जाता है। यह मंदिर तीन भागों गर्भगृह, दर्शनमण्डप और सभामण्डप में विभाजित है। बद्रीनाथ जी के मंदिर के अन्दर 15 मूर्तियां स्थापित हैं। इनमें भगवान विष्णु की एक मीटर ऊंची काले पत्थर की प्रतिमा है। मान्यता है कि आज जहां ये धाम स्थित है, वहां पहले भगवान शिव निवास किया करते थे, लेकिन बाद में भगवान विष्णु इस जगह पर रहने लगे।
मान्यता
भगवान शिव और भगवान विष्णु न केवल एक दूसरे को बहुत मानते थे, बल्कि दोनों एक दूसरे के आराध्य भी थे। परंपरा के अनुसार बद्रीनाथ धाम में छह महीने मानव और छह माह देव पूजा होती है। शीतकाल के दौरान देवर्षि नारद यहां भगवान नारायण की पूजा करते हैं। इस दौरान भगवान बद्री विशाल के मंदिर में सुरक्षा कर्मियों के सिवा और कोई भी नहीं रहता। आपको बता दें कि इससे पहले भगवान केदारनाथ धाम मंदिर के कपाट गुरुवार सुबह 5 बजकर 35 मिनट पर खोले गए। वहीं उत्तराखंड की चारधाम यात्रा की शुरुआत 7 मई मंगलवार को अक्षय तृतीया के शुभअवसर पर शुरु हुई।