इस साल की अंतिम मासिक शिवरात्रि पर करें इन मंत्रों का जाप, जानें पूजा विधि
इस साल की अंतिम मासिक शिवरात्रि पर करें इन मंत्रों का जाप, जानें पूजा विधि
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की हर इच्छा महादेव पूरी करते हैं। इस साल की अंतिम मासिक शिवरात्रि 24 दिसंबर, मंगलवार को है। ऐसा माना जाता है कि मासिक शिवरात्रि की मध्य रात्रि में भगवान शिव लिंग के रुप में प्रकट हुए थे। आइए जानते इस पर्व से जुड़ी खास बातें...
मासिक शिवरात्रि को सभी शास्त्रों और अनेक प्रकार के धर्मों के आचार्यों ने सबसे उत्तम बताया है। इस व्रत से उपासक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। व्रत रखने वाले उपासक को यह व्रत प्रात: काल से चतुर्दशी तिथि रहते रात्रि पर्यंत तक करना चाहिए। रात्रि के चारों प्रहरों में भगवान शंकर की पूजा-अर्चना करनी चाहिए और ‘ओम् नम: शिवाय’ का जप करते रहना चाहिए।
व्रत विधि
शिव चतुर्दशी व्रत में महादेव शिव के साथ माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय जी एवं शिवगणों की पूजा की जाती है। शिव जी की पूजा में प्रथम भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। उनके अभिषेक में जल, दूध, दही, शुद्ध घी, शहद, शक्कर या चीनी, गंगाजल तथा गन्ने के रसे आदि से अभिषेक किया जाता है। अभिषेक करने के बाद बेलपत्र, समीपत्र, कुशा तथा दुर्बा आदि चढ़ाकर शिवजी को प्रसन्न करते हैं।
पूजा के अंत में गांजा,भांग, धतूरा तथा श्री फल(नारियल) शिव जी को भोग के रुप में समर्पित किया जाता है। शिव चतुर्दशी के दिन पूरा दिन निराहार रहकर इनके व्रत का पालन किया जाता है। शिव चतुर्दशी के दिन रात्रि के समय शिव मंत्रों का जाप करना चाहिए।
शिवजी के कुछ विशेष मंत्र निम्न हैं:
“ॐ नम: शिवाय” या” शिवाय नम:”
रात को सोते समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए ?
शंकराय नमसेतुभ्यं नमस्ते करवीरक।
त्र्यम्बकाय नमस्तुभ्यं महेश्र्वरमत: परम्।।
नमस्तेअस्तु महादेवस्थाणवे च ततछ परमू।
नमः पशुपते नाथ नमस्ते शम्भवे नमः।।
नमस्ते परमानन्द नणः सोमार्धधारिणे।
नमो भीमाय चोग्राय त्वामहं शरणं गतः।।
या
"ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ॐ"
यह मंत्र बड़ी से बड़ी आपदा और विघ्नों को टाल देता है। समस्त कष्टों से मुक्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र जाप करें।
"ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बमकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्यो र्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ"।
ऐसी मान्यता है कि शिव मंत्रों का जाप शिवालय यानि शिव मंदिर या घर के पूर्व भाग में बैठकर करने से अधिक फल प्राप्त होता है। शिव चतुर्दशी की पूजा के उपरांत ब्राह्मणों को भोजन कराके स्वयं भोजन करना चाहिए।